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विज्ञ, लावणी छंद रस (बुक)

'विज्ञ, 'लावणी छंद रस' - पुस्तक प्रकाशन के लिए रचनाएँ  .                 " छन्द " छंद शब्द 'चद्' धातु से बना है जिसका अर्थ है ' आह्लादित " , प्रसन्न होना। छंद की परिभाषा- 'वर्णों या मात्राओं की नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं'।  छंद का सर्वप्रथम उल्लेख 'ऋग्वेद' में मिलता है। 'छंद के अंग'- 1.चरण/ पद-,- छंद के प्रायः 4 भाग होते हैं। इनमें से प्रत्येक को 'चरण' कहते हैं। हिन्दी में कुछ छंद छः- छः पंक्तियों (दलों) में लिखे जाते हैं, ऐसे छंद दो छंद के योग से बनते हैं, जैसे- कुण्डलिया (दोहा + रोला), छप्पय (रोला + उल्लाला) आदि। चरण २ प्रकार के होते हैं- सम चरण और विषम चरण।  2.वर्ण और मात्रा - एक स्वर वाली ध्वनि को वर्ण कहते हैं, वर्ण= स्वर + व्यंजन  लघु १,  एवं गुरु २ मात्रा 3.संख्या और क्रम- वर्णों और मात्राओं की गणना को संख्या कहते हैं। लघु-गुरु के स्थान निर्धारण को क्रम कहते हैं। 4.गण - (केवल वर्णिक छंदों के मामले में लागू) गण का अर्थ है 'समूह'। यह समूह तीन वर्णों का होता है। ग...