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कुण्डलिया बादल

👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~~~~~~_बाबूलालशर्मा,विज्ञ_ .            🌼 *कुण्डलिया* 🌼 .            💧 वर्षा/बादल 💧 *बादल नीरद मेघ घन, वारिद जलद पयोद।* *अम्बुद जलधर वारिधर, वारिवाह भू  मोद।* *वारिवाह  भू  मोद, धराधर   जल  बरसाते।* *धरती  पर  असमान, बाढ़  या  सूखा लाते।* *'विज्ञ'  पयोधर हेतु, बजे  स्वागत में मादल।*  *वर्षा  करो  समान, धरा के हित कर बादल।* .                     🦚💧🦚 ✍© *बाबू लाल शर्मा, बौहरा,'विज्ञ'* *सिकन्दरा,  दौसा  राजस्थान* 👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀

नवगीत- प्रीत की रीत

👀👀👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~~_बाबूलालशर्मा,विज्ञ_ *गंगोदक सवैया*  आधारित २१२ २१२ २१२ २१२, २१२ २१२ २१२ २१२ .        🌼  *नवगीत*  🌼 *प्रीत की रीत का गीत गाते रहे,* *मीत वे  शीत में  पात जैसे दहे।* *छंद के द्वंद से  फंद में जिंद से,* *नंद  के  चंद्र  में इंद्र  जैसे  रमें।* *दोहरे   दोहते   दोहरे   ही  हुए,* *दो  रहे  दो  बहे  दो गए दे हमें।* *बात वे याद हैं  रात भारी कटे,* *ज्ञात है घात वे शांत होते सहे।* *प्रीत...............................।।* *संग में  अंग थे  नंग जन्मे  सखे,* *रंग के  चंग भी  भंग  जैसे  गमे।*      *केश भी कृष्ण वे क्लेश देते नये,* *'विज्ञ' होते वही  श्वेत हो के जमे।* *ढंग  से  दंग  हो  नैन हो  गंग से,* *कंक से शंख के  पंक  धोते बहे।* *प्रीत.................................।।* *वेष हीने  जने  देश  में  मेष  से,* *द्वेष आवे...