प्रीत पुरानी
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""""""""""""बाबूलालशर्मा
💧 *प्रीत पुरानी*💧
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थक गये हैं मेरे नैन
ताकता मै दिन रैन
तन मन नहीं है चैन
मै तो रहता हूँ बे चैन
हमारी जीवन धारा
तुम्हे तो खूब निहारा
तुम्ही से प्रीत हमारी
आजा इन्द्रेश कुमारी।
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तड़प झड़प में बीते दिन
पर तड़पें तेरी चाहत।
साँझ ढले फिर याद करूँ
सोच पुरानी आदत।
हमेशा यूँ ही परखूँ
रात दिन तुझको देखूँ
तुम्ही हो ह्दय हमारी
आजा मेघ दुलारी।
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बैरिन रैन कटे नैनन में
जागत सपने देखूँ
इंतजार के इम्तिहान में
प्रातः फिर अवलेखूँ।
रात दिन सपने देखूं
तेरी यादों को निरखूं
आजा अब तो सयानी
मेरे मन प्रीत दीवानी।
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प्राण दे वर्षा रानी
त्राण दे बिरखा रानी
हमारी प्रीत पुरानी,
क्या वैसे ही निभानी,
तुम जानी पहचानी
वही हो बिरखा रानी
यदि तुम मन दीवानी
यदि तुम हो महारानी
तो हम भी रेगिस्तानी
तो हम भी राजस्थानी।।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,दौसा,राज.
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