यौतक

🌾🌿🌾🌿🌾🌿       *यौतक..यूँ....हीं.....*
""""""""""""""""""""""""""बाबू लाल शर्मा
?
है
यह
लेते
देते है
यौतक
दानव है
कौतुक है
दानवता है
मरता भी है
मारता भी है
कोई जीता है
कोई हारता है
कोई जीतता है
लेने से डरता है
देते भी डरता है
जाते अखरता है
आते निखरता है
कोई उजड़ता है
कोई सँवरता है
रोज बढ़ता है
ये कुढ़ता है
ये मरता है
ये पिता है
पिता है
पता है
पिता
है है
है:
है
?
🙏दहेज,अभिशाप है।🙏

✍©
बाबू लाल शर्मा
सिकंदरा,दौसा
🌳🌳🌳🌳🌳
""""""""""""""""""""""""

Comments

Popular posts from this blog

सुख,सुखी सवैया

गगनांगना छंद विधान