बेटी जन्म
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बाबू लाल शर्मा
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*बेटी जन्म*🏃♀
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बेटी जनम
जनम जनम
हमारी कसम
टेढ़ी कलम
बेटी को बचाना
बेटी को पढ़ाना
कहते है सारे
खोखले नारे
वे बस कहते
माँ बाप सहते
चढ़ती है उमर
गिद्धों की नजर
नारी तन भक्षी
कोई न आरक्षी
बचाना बर्बादी
करनी है शादी
दहेज का भार
पिता पर मार
दहेज दानव
पिसता मानव
बेटी का पिता
जीवित चिता
बेटी की शादी
बाप की बर्बादी
दहेज की रकम
कर लेते हजम
कहें दहेज खोर
मानूँ आदमखोर
बिटिया अघाई
प्रभु क्यूं जन्माई
दहेज दे कर भी
करजे लेकर भी
क्या भरोसा करे
क्यों आशा करे
मरना भी नही है
जीना भी नही है
प्रभु मुझे बता
मेरी क्या खता
प्रभु इतना कीजे
बेटी जन्म न दीजे
बदले समाज
बदले रिवाज
आज आ्वाज
झंकृत साज
शिक्षा सबको
सुरक्षा सबको
सुविधा जन को
शांति मन को
बेटी जन्म को
मात् नमन को
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✍©
बाबू लाल शर्मा
सिकंदरा,दौसा
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