सपने देखूं
,,,,,,बाबूलालशर्मा
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*सपने देखूँ*
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रात दिन सपने देखूं,
तुम्हारी बाट मै देखूं।
तुम्हारा रुप जो देखूं,
आओ,प्रीत भी देखूं।
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थक गये हैं मेरे नैन,
ताकझाँक दिन रैन।
तन,मन में नहीं चैन,
तुम बिन हूँ बे चैन।
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मेरी हो जीवन धारा,
तुझे तो खूब निहारा।
तुम्ही से प्रीत हमारी,
आओ,इन्द्रेशकुमारी।
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मन प्राण की प्यारी,
तन मन बाग बहारी।
पिक दिनरैन पुकारी,
आओ, मोर पियारी।
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ताके झाँके बीते दिन,
मन मेरा मन के चाहत।
साँझ ढले मैं याद करूँ,
सोच पुरानी वहआदत।
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हमेशा यूँ ही निरखूं,
रातदिन तुमको परखूं।
कभी,खिड़की से देखूं,
कभी,मन आँखों देखूं।
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सोच बस निरखूं निरखूं,
प्रीत पुरानी को परखूं।
तुम्ही हो हृदय की रानी,
आओ,अब मेघदीवानी।
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बैरिन रैन कटे नैनों में,
जागत सपने मैं देखूँ।
इंतजार हरपल है तेरा,
बार बार अव लेखूं।
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रैन दिवा सपने देखूं,
पद चिन्हों को निरखूं।
आओ,समझ सयानी,
मेरी,मन प्रीत दीवानी।
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आओ,बिरखा रानी,
नेह स्नेह से मै देखूं।
तुम बिन हुई बेचैनी,
रात दिन सपने देखूं।
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✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा(राज.)
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