आजा वर्षा, हँसे जवासा
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"""बाबूलालशर्मा
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*आजा वर्षा*
*हँसे जवासा*
💦💦💦💦
वर्षा💧वर्षा
दादुर प्यासा
खेती आशा
सागर हर्षा
झाँके नासा
बजते ताशा
करें तमाशा
भगे निराशा
आजा वर्षा
हँसे जवासा
आजा वर्षा
बजते ताशा
💦💦💦
धरा तृषित
कृषि पतित
कृषक चित
मन दमित
तपता दासा
चुभते फाँसा
कंठ पियासा
घोर निराशा
फिर , आशा
हँसे जवासा
आजा वर्षा
बजते ताशा
💦💦💦
कृषक कृश
डिगता यश
है अप यश
असमंजस
खेल कैसा
मनोपिपासा
मतकर ऐसा
गरमी जैसा
मोर हताशा
हँसे जवासा
आजा वर्षा
बजते ताशा
💦💦💦
खाली ताल
तलैया काल
नदी बे हाल
रुके है चाल
है,जिजिविषा
मन जिज्ञासा
देय दिलासा
मच्छ निवासा
नौका आशा
हँसे जवासा
आजा वर्षा
बजते ताशा
💦💦💦
रूंख रूखे
कुएँ सूखे
कृषक भूखे
अंतस चीखे
मन के मन्शा
खूब तलाशा
झूँठा झाँसा
ग्रीष्म तराशा
सबकी भाषा
हँसे जवासा
आजा वर्षा
बजते ताशा
💦💦💦
पपीहे तरषे
जवासे हरषे
आजा घर से
नयनन् बरसे
दैव दु:राशा
शकुनि पासा
होगा जलसा
चढ़े बताशा
प्राणी आशा
हँसे जवासा
आजा वर्षा
बजते ताशा
💦💦💦
वन्य हर्षा
आजा वर्षा
वर्षा💧वर्षा
सबको हर्षा
अच्छा खासा
इनको हुलसा
सर्वस् आशा
कौआ प्यासा
चातक खाशा
हँसा जवासा
आजा वर्षा
बजते ताशा
💦💦💦
(जवासा=
एक झाड़ी)
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✍©
बाबू लाल शर्मा
सिकंदरा,दौसा
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