समझ ले वर्षा रानी

,,,,,,,,,बाबूलालशर्मा
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*समझ ले वर्षारानी*
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(वर्षा का मानवीकरण)

शुष्क हृदय वर्षारानी,
आओ ऐ मेघदीवानी।
आओ,समझ सयानी,
मेरी,मन प्रीतदीवानी।
💫💫💫💫💫
तुम्ही  विरह निभानी,
बनी सपनों की रानी।
क्यों कर आनाकानी,
यादकर प्रीत पुरानी।
💫💫💫💫💫
प्राण  दे  वर्षा  रानी,
त्राण दे बिरखारानी।
ओ,मेरी प्रीत पुरानी,
क्या यों ही निभानी।
💫💫💫💫💫
तुम  जानी पहचानी,
वही हो बिरखारानी।
निभाओ प्रीतपुरानी,
बनो न यूं अनजानी।
💫💫💫💫💫
हार गोबर्धन में मानी,
यदि तुम मन दीवानी।
यदि तुम हो महारानी,
तो हमभी रेगिस्तानी।
💫💫💫💫💫
..हम भी राजस्थानी,
जानतेआन निभानी।
समझते चातकवानी,
निकालें रेत से पानी।
💫💫💫💫💫
तू , करले मन मानी,
खूब करले  नादानी।
हार हमने नहीं मानी,
हमारी यही निशानी।
💫💫💫💫💫
मान तो मान सयानी,
यादकर पुरा कहानी।
काल दुकाल जुबानी,
हमें तो प्रीत निभानी।
💫💫💫💫💫
तुम्हे वे रीत निभानी,
यदि तुम जिद्दी रानी।
तो,हम है अभिमानी,
घास की रोटी खानी।
💫💫💫💫💫
जुबाने वहीं मरदानी,
जानतेअसि चलानी।
जानते  कथा रचानी,
चाहती तू,अजमानी।
💫💫💫💫💫
यह,इतिहास गुमानी,
शत्रु  याद करे नानी।
रीत, देखे बलि दानी,
लुटाएं यूँ ही जवानी।
💫💫💫💫💫
देते रहते है कुर्बानी,
जिद्दी हे  वर्षा रानी।
बने, माँ चूनर धानी,
न,  माने  सुल्तानी।
💫💫💫💫💫
प्रेम की रीत निभानी,
है,लागे ग्रीष्मसुहानी।
तुम,करती ये शैतानी,
न,समझो प्रीतपुरानी।
💫💫💫💫💫
करले हमसे बेईमानी,
ये तेरी ईमान कहानी।
हैं, जाने जान लुटानी,
समझते पीर मिटानी।
💫💫💫💫💫
रेत की  दुधार बनानी,
बात इतिहास बखानी।
तुमसे ही होड़ लगानी,
समझ  ले  वर्षा रानी।
💫💫💫💫💫
रानी करलेअनहोनी,
खेजड़ी योंभी रहनी।
हठ,हमसे भी रखनी,
साँगर हमको खानी।
💫💫💫💫💫
हमें, जानी पहचानी,
तेरे,छलछंद कहानी।
तुम्ही लगती बेगानी,
मेरी आँखों में पानी।
💫💫💫💫💫
आए तो आ मस्तानी,
बरसना  चाहे  धरनी।
जाए तो जा पुरवानी,
पड़ी है जगतीअवनी।
💫💫💫💫💫
याद कर प्रीत पुरानी,
झुके तो बिरखारानी।
नहीं तो रह अनजानी,
हम तो है राजस्थानी।
💫💫💫💫💫
हम तो है रेगिस्तानी,
वर्षा रानी वर्षारानी।
.........ओ महारानी,
मेघ मल्हारी....... .।
समझ ले वर्षा रानी।
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✍©
बाबूलाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा(राज.)
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