यूं ही ..दहेज दानव

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*मेरा मन....भी...यूँ , ही..*
''""'"""""""""""""""""""बाबू लाल शर्मा

मैं
मन
मानव
यौतुक
दहेज है
मानव मन है
यौतुक धन है
यौतुकी मानव है
दहेज तो दानव है
मानव ही दानव है
विज्ञान व शासन है
वैज्ञानिक व सरकारें,है
नित नये प्रयास कर रहे है
नये से नये प्रयोग कर रहे है
चाँद और मंगल पर पहुँच रहे है
नये नये ये आविष्कार कर रहे है
दहेज की दुर्घटनाएँ रोज बढ़ रही है
दहेज की राशि रोज बढ़ती जा रही है
नव जीवन की रूप रेखा रचे जा रहें है
मानव जीवन की संभावनाएँ खोज रहे है
मानव जीवन की संभावनाएँ तलाश रहे है
मेरी बेटी के जीवन की संभावनाएँ तलाश है
ग्रहों पर- हवा व पानी की तलाशी करा रहें हैं
दहेज-लोभी बिटिया का बहिष्कार कर रहे है
बेटी के परिजन,कचहरी व थाने में पहुंच रहे।
वो चांद और मंगल में,जीवन व पानी खोजे।
मेरा तो मन बेटी का जीवन मन में, खोजे।
वे खोजे नित नित मंगल पे जीवन खोजें
मेरा मन बेटी के जीवन में मंगल खोजे
मानव की आँखों के पानी को खोजे।
दहेज के अपराधयों को भी खोजे
बेटी के जीवन में मंगल खोजे
बिटिया का जीवन भी खोजे
बिटिया के वर घर खोजे
बिटिया का सुख खोजे
बिटिया को मन खोजे
बिटिया धन -खोजे
बिटिया-- खोजे
दहेज खोजे
यौतुक दें
यौतुक
बेतुक
धन
मन
मैं
?
🙏
*यह दहेज का दानव या लालच में मानव*
✍©
बाबू लाल शर्मा
सिकंदरा,दौसा
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