याद

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"""""""""""""""""""बाबूलालशर्मा
.      🌹 *याद* 🌹

उन सहमी सहमी रातो की,
या बहकी बहकी बातों की।
तन गर्म लहू में उबाल अाए,
वो कड़वे मीठे जज्बातों की।
मन में मदहोंशी छा जाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।🌼

अनादि अनन्त परमात्मा से,
मनु सृष्टिसृजन कहानी तक।
सतयुग त्रेता द्वापर कलियुग,
वैदिक  से आर्य रवानी तक।
वे  सभी समझ आ जाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।।🌼

रामायण की सब मर्यादाएँ,
मर्यादा के फलभागी प्यासे।
श्रीकृष्णा परिहासी छलिये,
महाभारत शकुनि के पासे।
कान्हा की बाँसुरी भाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।।🌼

उस महा सिकंदर का आना,
आम्भि विद्रोह मचल जाना।
पुरू दृढता से पस्त सिकंदर,
चन्द्रगुप्त के डंके बजजाना।
चाणक्य शिखा बलखाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।।🌼

गुप्त युगीन वह स्वर्णकाल,
जनपद युग फिर हर्ष हाल।
महावीर बौद्ध,इस्लाम जमे,
शंकराचार्य के धर्म धमाल।
गंगा जमुनी रीत लुभाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।।🌼

गजनी गौरी खिलजी वे घातें,
पृथ्वीराज की  वे काली राते।
मुगलऔर विदेशी आक्रामक,
बलिदान संग जौहर की बातें।
अब भी तन मन  तड़पाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।।🌼

संख्या सांगा के उन घावों की,
या मीरा बाई के सदभावों की।
महलों,प्रतिघातों से बचे उदय,
चेतक प्रताप केअनुभावों की।
पन्ना  की यादें खूब रुलाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।।🌼

व्यापारी बन घुस आये लुटेरे,
अंग्रेज हुकूमत की सब बातें।
सन सत्तावन से आज तलक,
बलिदाने माँ-पूतों की सौगातें।
झाँसी रानी दिख जाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।।🌼

वह हिन्दुस्तान का बँटवारा,
राष्ट्र गान संग तिऱंगा प्यारा।
भारत भाग्य विधायी संसद,
लोक तंत्र संविधान  हमारा।
आजाद खुशी  छा जाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।।🌼

नए देश  के कर्ण धार साथियों,
अपने नेता  गण चुन लिए गये।
पास  पड़ौसी  देशो संग जमाने,
जैसी संगत वैसे रंगत लिए गये,
तब माँ  की यादें ही तड़पाती है,
जब याद मुझे आ जाती है।।🌼
🌹🌹
✍सादर ©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकन्दरा  303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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              याद/यादें

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