आँसू

प्रतियोगी रचना👉
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दिनांक:--15.07.2018
दिन:-----रविवार
विषय:---आँसू
विधा:--  कविता(छंदमुक्त)
""""""""""""""""""""बाबूलालशर्मा
.     👁 *आँसू* 👁
               💧
मन के पावनतम भावों का,
रससार कल्पासव आँसू है।
खुशियाँ,गम दोनों ले आते,
बरबस ये जिज्ञासु आँसू है।💧
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उभय वर्गीय जीवन इनका,
यौवन भी  है कुछ पल का।
किसी नैन मोती से चमकते,
किसी में झरनातप् जल का।💧
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वीरों के बलिदान  पर रोंयें,
सात समन्दर जितने आँसू।
अकथ कहानी बने हुए जो,
सुन्दर विहग मोर के आँसू।💧
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राष्ट्र सृजन में प्राण गँवाये,
उन्हे नमन् आँसू से करते।
धरा-पूत गर्दिश मे हो तब,
मन वंदन आँसू  से करते।💧
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मनमीत मिले खुशियां झूमें,
मिलन के आँसू राधे श्याम।
बिछुड़न तिक्तसजा मनकी,
विरह  के आँसू  सीता राम।💧
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जब बेटी की विदाई करते,
वज्र पिता के आँसू  झरते।
बेटे जब घर छोड़ के जाए,
तब माँ के अश्रु नहीं थमते।💧
👁👁
मात पिता के इंतकाल में,
संतानों  के अश्रु छलकते।
संतानो  के अंत दर्श फिर,
पितरअश्रु कभी न थकते।💧
👁👁
वृद्धाश्रम में  जाकर देखे,
वे सब  मन के आँसू रोते।
अनाथ घरों मे जाके देखें,
कई  समन्दर  आँसू रोते।💧
👁👁
दीन हीन दिव्यांगजनो के,
नयन अश्रु  धरोहर  रहते।
सत्जन धीर वीर सतसंगी,
दिव्य अश्रु  सहेजे  रखते।💧
👁👁
नयन अश्रु खारा जल होते,
सिन्धु बिन्दु,गंगाजल स्रोते।
दुख में अश्रु् स्वातिबिन्दु से,
शिशु,सुख अश्रु सरल होते।💧
👁👁
✍©
बाबू लाल शर्मा"बौहरा"
सिकन्दरा,303326
दौसा,राजस्थान 9782924479
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""""""""""""""""""""""""""""""
रा.क.चौपाल कोटा, राज.

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