रग बिरंगे आँसू देखें

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""""""""""""""""""बाबूलालशर्मा
.       रंग बिरंगे
.        👁 *आँसू* 👁
                  💧
ये नेत्र मनुज के जन्मों से,
सुख-दुख दरश् पिपासु है।
नयन सेज संचय से बहता,
यह सीकर झरना आँसू है।💧
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मन के पावनतम भावो का,
रससार कल्पासव आँसू है।
खुशियाँ,गम दोनों ले आते,
बरबस ये जिज्ञासु आँसू है।💧
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उभय वर्गीय जीवन  इनका,
यौवन भी है  कुछ पल का।
किसी नैन मोती से चमकते,
किसी में झरनातपजल का।💧
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वीरों के बलिदान पर आते,
सात समन्दर जितने आँसू।
अकथ कहानी बने हुए जो,
सुन्दर विहग मोर के आँसू।💧
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राष्ट्र सृजन में प्राण गँवाये,
उन्हे नमन् आँसू से करते।
धरा-पूत गर्दिश मे हो तब,
मन वंदन आँसू  से करते।💧
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मनमीत मिले खुशियां झूमें,
मिलन के आँसू राधे श्याम।
बिछुड़न तिक्तसजा मनकी,
विरह  के आँसू  सीता राम।💧
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जब बेटी की विदाई करते,
वज्र पिता के आँसू  झरते।
बेटे जब घर छोड़ के जाए,
तब माँ के अश्रु नहीं थमते।💧
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मात पिता के इंतकाल में,
संतानों  के अश्रु छलकते।
संतानो  के अंत दर्श फिर,
पितरअश्रु कभी न थकते।💧
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वृद्धाश्रम में  जाकर देखे,
वे सब मन के आँसू  रोते।
अनाथ घरों मे जाके देखें,
कई  समन्दर  आँसू रोते।💧
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दीन हीन दिव्यांगजनों के,
नयन अश्रु  धरोहर  रहते।
सत्जन धीर वीर सतसंगी,
दिव्य अश्रु  सहेजे  रखते।💧
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नयन अश्रु खारा जल होते,
सिन्धु बिन्दु,गंगाजल स्रोते।
दुख में अश्रु् स्वातिबिन्दु से,
सुखमय  अश्रु सहज  होते।💧
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शिशु के अश्रु सरलतम् होते,
पाषाणों में वत्सल  भर देते।
पुरुष के अश्रु पाषाणी होते,
जनमानस वीभत्सक लगते।💧
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दम्भी  कपटी दुष्ट जनो के,
नयन अश्रु छलिया होते है।
हमको ठगने वाले वे नौ नौ,
घड़ियाली आँसू से रोते हैे।💧
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नारी दृग आँसू महा सागर,
पल में भरते करुणा गागर।
मिलन जुदाई दोऊ भावना,
बहते रुकते करुणा पाकर।💧
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राधा रानी गोपी सखियाँ वे,
कृष्ण  की  प्रेम  दीवानी थी।
सबके अश्रु मीरा जी पी गई,
वह केवल दरश् दीवानी थी।💧
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सिय के आँसू पावन अमृत,
धरती माँ के गोद समा गए।
प्रायश्चित श्री राम के आँसू,
मरयादा  के नाम गमा गए।💧
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प्रेमी जोड़े लैला मँजनू सम,
कितने रोये,आँसू  बह गये।
वै,अँसुवन के प्रबलखार से,
सातों  सागर  खारे हो गये।💧
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रंग बिरंगे आँसू  सबके देखे,
कठिन अश्रु विधना के लेखे।
मानव के कृत कर्म देख कर,
विधना अपने भाग्य प्रलेखे।💧
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✍©
बाबू लाल शर्मा"बौहरा"
सिकन्दरा,303326
दौसा,राजस्थान 9782924479
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आँसू विविध प्रकारा

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