सर्व नमन
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~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 🙏 *सर्व नमन* 🙏
. (हरिगीतिका 16,12)
नमन करूँ मैं निज जननी को,
जिन जीवन दान दिया।
वंदन करूँ जनक को जिसने
जीवन सम्मान दिया।
नमन करूँ भ्राता भगिनी सब ,
संगत रख स्नेह दिया।
गुरु को नमन दैव से पहले
मन वचन सु ज्ञान दिया।
मानुष तन है दैव दुर्लभम,
अनुपम व सौगात है।
दैव,धरा,गुरु,भ्राता,भगिनी,
परिजन व पितु मात है।
गंगा गैया,गिरि,गज गणेश,
गगन गायन गात है।
बमभोले,बाबा, बजरंगी,
ब्रह्मा, बिष्नु, बात है।
भानु भवानी,भगवन भक्तों,
भ्रात भृत्य नमन करूँ।
बाग बगीचे वन उपवन जल,
सागर, थल ,चमन करूँ।
चन्द्र, सितारे,भिन्न पिण्ड,तरु,
पशु,खग,दुख शमन करूँ।
जीव जगत,निर्जीव सभी सह,
राष्ट्र अरि दमन करूँ।
नमन करूँ सब भूले भटके
जन गण मन विधान को।
जय जवान,अर,जय किसान के,
हितु मचलते मान को।
नमन करूँ कण कण मे बसते,
दैवीय अभिमान को।
अपने और सभी के गौरव
मेरे स्व अभिमान को।
. 🙏🙏
✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा, 303326
दौसा,राजस्थान, 9782924479
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~~~~हरिगीतिका~~~~
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