बेला/मोगरा

🌾🌾🌾🌾🌾🌾
"""""""""""""""'"'''''बाबूलालशर्मा
.   🌿 *बेला/मोगरा*🌿

भरै पेट जद  चाहत होवै  मोगरा,
पण  रीतै न इमरत  लागै सोगरा।

खसबू, भारी चोखी लागै जीवा नै,
बेल,मोगरा अलबेला,बेला होवैछै।
बात रईसी करै तो भाँया सुणलै रै,
बेला री खसबू कामणियाँ सोवैछै।
काना  माँई  सैन्ट  लगावै  डोकरा।
भरै  पेट जद  चाहत  होवै मोगरा।

राजस्थानी फसल बड़ीछै बाजरो,
थे काँई समझोला  ई सग माजरो।
घणा घणा रिश्ता नाता धरती पर,
सबसूँ चोखो लागै सब नै सासरो।
देवा नै  तो चाव लगै नित भोग रो,
भरै पेट जद चाहत  होवै  मोगरो।

पेट भरण नै सींगर  खाटो सोगरा,
भरै पेट जद दाव चलाणा योग रा।
घर बागाँ  कोयलड़ी रा गीत सुणाँ,
खसबू  लेवाँ  धौला  फूलाँ मोगरा।
भरै  पेट जद  चाहत  होवै मोगरा,
पण रीतै नै इमरत  खाटो सोगरा।

भूखाँ भजन न होय कथी बड़काँ,
भावै  न जूही  चम्पा बेला मोगरा।
धाप्याँ  री परभात  सांझ दौपहरी,
चोखा  नीका  लागै  बूढ़ा डोकरा।
भरै पेट जद  चाहत चम्पा मोगरा,
पण रीतै नै इमरत  सींगर सोगरा।
~~~~~~~~~~
डोकरा = बुजुर्ग
सोगरा = बाजरे की रोटी
सींगर= खेजड़ी की फली (सब्जी)
खाटो = कढ़ी
~~~~~~~~

🌾🌾🌾
✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकन्दरा 303326
दौसा,राजस्थान 9782924479
🌴🌴🌴🌴🌴🌴
""""""""""""""""""""""'''''''''''''''''

Comments

Popular posts from this blog

सुख,सुखी सवैया

गगनांगना छंद विधान