यौतक~दहेज

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~~~~~~~~~~~~"~~~बाबूलालशर्मा
.                 "ढूंढाड़ी"
.           *यौतक~दहेज*
.                दोहा-छंद
1..
पढ़ा लिखा  बेटी  बढ़ा ,खूब बड़ी  हुशियार।
परणावन  रो सोच अब, ढूँढत भल घर बार।
2..
ढंग रो घरवर देखताँ,थक्या पिता जु  भाय।
घर मिल जावै वर नहीं, वर मिलता घर नाय।
3..
घर वर दोनी जहाँ जचै, यौतक चहि  भरपूर।
यौतक  नाम  दहेज  रो, दुनिया   मैं  मशहूर।
4..
यौतक बुरी बलाय छै,सामाजिक अभिशाप।
बेटी  भाग्य   सँवारताँ, भलो  डूब ज्या बाप।
5..
कानूनन  अपराध  छै, बेटी  सन  अभिशाप।
बस  गरीब को  रींझणो, बाप बेवजह  पाप।
6..
यौतक  छै  यमदूत  सो, हरे बेटियन   प्राण।
कितरी  बेटी जल मरी ,और  गवाँ दी जान।
7..
रोक सको तो रोक ल्यो, योतक  रोग दहेज।
बेटी  संग  अन्याय  या , कंटक  कीर्ण  सेज।
8..
सब मिलकर सदुपाय हो,राज समाज समेत।
जड़  हिलवाय दहेज की ,कर  बेटी सन हेत।
9..
लेण देण  दोनी रुकै, जद बिटिया हित होय।
दैन्य  दानवी  डायजै, मरै  न  बिटिया  कोय।
10..
पालन  पोषण संग ही ,पढ़ा लिखा दी मान।
ब्याह  करै बेटी  विदा, बिन दहेज सन मान।
11..
शरमा बाबू लाल  की, सबसूँ  छै  कर जोरि।
बेटी हित सारे जतन,बिटिया नहि कमजोरि।
🙏 *दहेज समाज के लिए अभिशाप है।* 🙏
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✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा, दौसा,राजस्थान
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