पर्यावरण शतक
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 💫💫 *पर्यावरण-शतक* 💫💫
1..💫💫💫
धरा गगन सब जग बना ,पर्यावरण विकार।
मर्त्य कर्म अकर्म से, विपदा विविध प्रकार।।
2..💫💫💫
पर्यावरणन गंदगी , होय जगत में रोज।
बल विद्या कम हो रही, घटता जावे ओज।।
3..💫💫💫
पेड़ लगाने की प्रथा, चलती आई देश।
पर्यावरण सदा रहे, शोभित निर्मल वेष।।
4.💫💫💫
बड़े सयाने लोग हैं, पेड़ न मही लगाय।
गमले पौधे रोप कर, पर्यावरण बचाय।।
5..💫💫💫
हरित हार हर गाँव में, पौधारोपण होय।
हरि हरिजन हर जीव भी,पर्यावरण सँजोय।।
6..💫💫💫
पर्यावरणन स्वच्छता,खोजत हैं सब लोग।
साफ स्वच्छ फैलाव के, सदा करें उपयोग।।
7..💫💫💫
डीजल पैट्रोल से बना , पर्यावरण खराब।
गैस गंध ध्वनि कर रहे,उल्टे पड़े जवाब।।
8..💫💫💫
ईंधन सदा जलाय सब, चलें न कोई पांव।
पर्यावरण जो न रहे, शहर बचे नत गांव।।
9..💫💫💫
कहे सभी करते तनिक,पर्यावरणी बात।
सभी चेत जाएँ सखे,फिर कैसे हो घात।।
10..💫💫💫
पर्यावरण बचाव की, करते हैं सब बात।
काम करन के फेर में,सभी दिखावें जात।।
11.💫💫💫
पर्यावरण बचाव से, मानवता बचि जाय।
जीव जगत जंगम सभी,धरा धरा रहि जाय।।
12.💫💫💫
पर्यावरण बचाइए , छोड़ भेद अरु बैर।
इसके बिन संसार में, नही किसी की खैर।।
13..💫💫💫
जीव शिकारी मारते, पेड़ काटि मक्कार।
पर्यावरण विनाश के , हैं ऐसे अय्यार।।
14..💫💫💫
पर्यावरण कैसे रहे, पेड़ रहे जो काट।
मानवता को भी सभी ,यहां रहे हैं बांट।।
15..💫💫💫
नीर धीर धीरज रखे, अभी मिटाता प्यास।
बचे नहीं पर्यावरण ,फिर काहे करि आस।।
16..💫💫💫
पर्यावरण सँवार कर, राखो जग में नीर।
वरना इस संसार की, बदलेगी तसवीर।।
17..💫💫💫
घर का कचरा राह में, पथ में फैंके गंद।
समझ नहीं पर्यावरण, कैसे जन मतिमंद।।
18.💫💫💫
नित्य गंदगी बढ़ रही , कैसे लोगे सांस।
पर्यावरण सताय कर, कहां बचेगी आस।।
19..💫💫💫
चरागाह,जंगल सभी, कीन्हे मटिया मेट।
गंगे, गैया गोमती, पर्यावरण चपेट।।
20..💫💫💫
जंगल को रक्षित करो,नही लगाना आग।
पर्यावरण के वास्ते, हे नर जल्दी जाग।।
21..💫💫💫
धरती पर ही स्वर्ग है, पर्यावरण प्रकाश।
धानी साड़ी धरा की ,हरियल धरा विकास।।
22..💫💫💫
पर्यावरणन धरा का, जो अच्छा हो जाय।
हरियाली के संग में,स्वर्गिक धरा कहाय।।
23..💫💫💫
जगमग पर्यावरण हो,जगे जागृति विशेष।
कर्मठ जन चेतन करे ,देश और परदेश।।
24..💫💫💫
सफल सहज सादर बने,पर्यावरणक योग।
कष्ट पीड़ जग की मिटे, बचे न कोई रोग।।
25..💫💫💫
प्रति मानव दो पेड़ हो,बने जगत सँविधान।
साफ सफाई स्वच्छता, पर्यावरण विधान।।
26..💫💫💫
पर्यावरण विधान को,जग में सदा सिखाय।
हरे पेड़ को काटकर,अच्छा समय न आय।।
27..💫💫💫
हम दो हमारे दो हो, तनय पेड़ प्रति साल।
पर्यावरण प्रबोधनी ,नीति नियम प्रतिपाल।।
28..💫💫💫
पर्यावरणक नाम पर, कम से कम दो पेड़।
रोप करे हरियालियाँ, मत फितरत को छेड़।।
29..💫💫💫
पाँलीथिन को बंद कर ,कपड़े थैले लेय।
गाय धरा तटनी बचे, पर्यावरणन देय।।
30.💫💫💫
कचरा कम कर साधिये,स्वच्छ रखो घरबार।
पर्यावरणन नाम पर, कर्म करो हर बार।।
31..💫💫💫
प्यासे कौवे की कथा ,चल प्राचीने काल।
नर की अरु नल नीर की,पर्यावरणी चाल।।
32..💫💫💫
जल का सदउपयोग हो,व्यर्थ न कोइ बहाव।
पर्यावरणक नाम में, नहि हो कभी रिसाव।।
33.💫💫💫
आकाशी पर्यावरण, आभासी प्रतिबिम्ब।
यान विमान प्रतिबंधन, पावन पीपल निम्ब।।
34..💫💫💫
पर्यावरण अमोल है, इसके बिना न कोय।
पेड़ों के संरक्षणन , करले सोइ उपाय।।
35.💫💫💫
करके नग्नपहाड़ को,खनिज किए महिभाग।
बारूदी पर्यावरण ,हर तन मन हिय आग।।
36..💫💫💫
धरती जल पर्यावरण, स्वच्छ जगत मे होय।
तनमन धन सब पाक़ हो,नरतन कभी न रोय
37..💫💫💫
संभव होय सँवार ले, बिगड़ गए जो काज।
पर्यावरणी सोच ले, समझे राज समाज।।
38..💫💫💫
पर्यावरण सँवाार के ,होवत हर दिन काम।
पर्यावरण बिगाड़ के, जग है आठों याम।।
39..💫💫💫
नाम करे वे और ही, काम करे वे और।
पर्यावरणी नाम पर , माल बटोरे चोर।।
40.💫💫💫
पर्यावरण जगाव के ,जग में है कइ लोग।
इसी नाम पे चलत है,जग में कइ उद्योग।।
41..💫💫💫
ईश देव दातार हैं , देते हर वरदान।
पर्यावरण विकास हित, सबै निभावे मान।।
42..💫💫💫
हरियाली में होत है ,पर्यावरण कमान।
ईश्वर से इंसान को, मिला अमिट वरदान।।
43..💫💫💫
जीवन जीते वनज भी,अप्रतिमम उपहार।
पर्यावरण सँवारते, करते भल उपकार।।
44.💫💫💫
जग में जीवन जीव का,पर्यावरण अधार।
अन्न नीर ईंधन पवन ,धन देवत भरमार।।
45. 💫💫💫
मरे साँप को कंठ में, क्योंकर डाले कोय।
विपदा पर्यावरण की ,साँप छछोंदर होय।।
46..💫💫💫
पर्यावरणन सम्पदा ,सदा जगत में आय।
पर्यावरण बिगाड़ जग,विपदा गले लगाय।।
47..💫💫💫
मानव कृत आपद बड़ी,धरती पर जो होय।
पर्यावरणन हानि पर, नौ नौ आँसव रोय।।
48..💫💫💫
पर्यावरणक कोप से, कोई नहि बच पाय।
प्रलय भयंकर क्यों चहे,धरती काय नसाय।।
49..💫💫💫
मनवा सोच विचार ले, कर्म फर्ज सत कर्म।
पर्यावरणन हित करें , सदा निभाएँ धर्म।।
50..💫💫💫
अब भी मर्त्य सँवार ले,जग में अपना कर्म।
पैरों पर आरी चले, पर्यावरणन शर्म।।
51.💫💫💫
पर्यावरण सँवारिये,सब मिल मानव जात।
वरना सबको ही मिले, तन मन के आघात।।
52.💫💫💫
पर्यावरण स्वच्छ रहे, तन मन और विचार।
सत संयम प्राणी जगत,बरते सद आचार।।
53.💫💫💫
पेड़ धरा पर घने हो, पर्यावरण प्रचार।
नदी नाँव ज्यों ही रहे,जंगल जन आधार।।
54.💫💫💫
पर्यावरण की सोच लें, पेड लगे घर बार।
बिना पेड़ खाली धरा ,जंगल देहरि द्वार।।
55.💫💫💫
धानी वस्त्र धरा के, पर्यावरण बखान।
तभी ईश मंदिर भले, तभी भलेहि अजान।।
56.💫💫💫
पैट्रोइल बढ़ती खपत,बिजली खपती और।
जलि कोयले रसायनी, पर्यावरण न ठौर।।
57.💫💫💫
जल जंगल सीमित रहे, कंक्रीटन के जाल।
जंगम जीव जगत में, पर्यावरण निढाल।।
58.💫💫💫
जनसंख्या नित बढ़ रही,संसाधन कम जोरि।
अतिदोहन की वजह से, पर्यावरण मरोरि।।
59.💫💫💫
अतिदोहन,जल का किए,जल स्तर घट जाय
पर्यावरण हानि करे, कहीं बाढ़ आ जाय।।
60.💫💫💫
वर्षा की असमानता, पिछड़े खेत किसान।
गँदला पर्यावरण हो, पथ भटके इंसान।।
61.💫💫💫
बांध बनाकर सरित को,रोक बहाव अपार।
संकट पर्यावरण के, आमंत्रित करि यार।।
62.💫💫💫
तापमान धरती बढ़े ,बर्फ पिघलती जाय।
खतरे पर्यावरण है, जल सागर बढ़ि आय।।
63.💫💫💫
जीव वन्य जंगल विकल,वनस्पति भी जान
पर्यावरणी चेतना , अब तो नर पहचान।।
64..💫💫💫
नीम खेजड़ी पीपली, बरगद शीशम आम।
दो तरफा हित लाभ है ,पर्यावरण सकाम।।
65..💫💫💫
हाथी शेर हिरण सब, है जंगल की शान।
पर्यावरण संरक्षण, मान सके तो मान।।
66..💫💫💫
रेगिस्तानी जहाज है, राजस्थानी ऊँट।
पर्यावरणी जीव है, मिटता है रण रूट।।
67..💫💫💫
खतरनाक गैसे बनी, त्रासदि तब भोपाल।
अब तक जहरीला असर,पर्यावरण बिहाल।।
68.💫💫💫
पेड़ लगालें हम सभी, सौ सौ अपने हाथ।
पर्यावरण रक्षक बन, रहें धरा तन साथ।।
69..💫💫💫
पालन पोषण पेड़ का, करिए तनय समान।
पर्यावरण मीत बने, पेड़ तनय अरमान।।
70.💫💫💫
गौ सेवा गोरस मिले, पंचगव्य भी साथ।
पर्यावरण सँवार लो, पुण्य हाथ के हाथ।।
71..💫💫💫
धरा स्वरक्षा राखिए , पर्यावरण प्रचार।
प्राक्रत जीवन वनस्पति,रखिए सभी प्रकार।।
72.💫💫💫
संगत पर्यावरण हो, जीव और निरजीव।
पपिहा,कोयल मोर भी, सभी पियारे पीव।।
73.💫💫💫
हर घर में बगिया खिले,स्वच्छ आचरण धार।
पर्यावरण बचा रहे, तब ही जीवन सार।।
74..💫💫💫
खान पान ईमान हो,सत मन सत आचार।
पर्यावरणी सोच हो , होवे बेड़ा पार।।
75..💫💫💫
सड़क शहर विकास में,मतकर पेड़ विनाश।
तिगने पेड़ लगाइये, पर्यावरण प्रकाश।।
76.💫💫💫
धरा गंदगी हो रही, संगत जल थल होय।
पर्यावरण विचारिए, तभी सृजन नव होय।।
77.💫💫💫
जल पवन गंदे हुए, मृदा गंदगी जाग।
पर्यावरण चेतन रखो, पीछे क्यों कर भाग।।
78.💫💫💫
पेड़ काट पापी बने, वृक्ष लगाय महान।
पर्यावरण सँभाल ले, धरा न कर शमशान।।
79.💫💫💫
अनावृष्टि अतिवृष्टि भी, इंसानी करमात।
पर्यावरण बिगाड़ के,विपदा लई अभाँत।।
80.💫💫💫
पेड़ सरीखे मीत नहि, जे समझे मन माहि।
पर्यावरण सँवारते, रीत प्रीत दे ताहि।।
81.💫💫💫
खेजड़ली के हित दिए,प्राण अनेक स्वजान।
पर्यावरणन वीर जन, उनका करते मान।।
82.💫💫💫
गैस हवा को कम करो, साफ नगर देहात।
पर्यावरण हित चेतना,करो सभी सन बात।।
83.💫💫💫
गंगा गौ गिरि राखिए, पर्यावरण सभाँति।
गंद गदल गैसें करी, इनसे भली न भाँति।।
84.💫💫💫
सागर सरिता शैल से, रखो रीत की प्रीत।
पर्यावरण संरक्षण , हित यह सच्चे मीत।।
85.💫💫💫
खेत किसानी काम मे, देशी खाद उपाय।
रसायनिक मत काम लो, पर्यावरण बचाय।।
86.💫💫💫
बिजली डीजल के करो,सीमित ही उपभोग।
पर्यावरण बचा रहे , सही जोग संजोग।।
87.💫💫💫
कदम कदम पर पेड़ हो, पंछी कलरव गान।
चहक उठे पर्यावरण, बनी रहे महि शान।।
88.💫💫💫
गंदे नाले शहर के ,झीलों तक न जाय।
जल स्रोतों को साफ रख,पर्यावरण बचाय।।
89.💫💫💫
बचे परत ओजोन तो,धरती पर समताप।
पर्यावरण हित में रहे,यज्ञ हवन नित जाप।।
90.💫💫💫
गाड़ी मोटर कार का, कम करले उपयोग।
पर्यावरणी सोच हो, योग करे निःरोग।।
91.💫💫💫
पर्यावरण सँभालिए, सागर नदी सँभारि।
गौचारण हित महि रहे,जंगल वनज उबारि।।
92.💫💫💫
गिद्ध चील है लापता, गायब चीता शेर।
पर्यावरण संकट बने, मोर गोड़वण ढेर।।
93.💫💫💫
कचरे पाँलीथीन से, धरती गाय बचाव।
पर्यावरण बना रहे,स्वच्छ नीति अपनाव।।
94.💫💫💫💫
घर बया के नष्ट है,विकिरण का आघात।
मदमक्खी भी कम हुई,पर्यावरण थकात।।
95.💫💫💫💫
झीलों की नगरी बड़ी, उदयपोर की बात।
पर्यावरण सचेत से ,देश विदेशों ख्यात।।
96.💫💫💫
बड़ पीपल है देवता, पाल तनय की भाँति।
प्रहरी पर्यावरण के , लम्बी वय तरु जाति।।
97.💫💫💫
जल जंगल जग में रहे, जंगम जीव हमेश।
पर्यावरण बचाव हित, करो उपाय विशेष।।
98.💫💫💫
वन्य वनज वन में रहे,उनको मत कर हानि।
पर्यावरणन हित करे, वर्षा हवा प्रमानि।।
99.💫💫💫
साफ सफाई संयमी, तन मन घर के पास।
पर्यावरण स्वच्छ रहे,श्वाँस श्वाँस की आस।।
100.💫💫💫
पंचवटी त्रेता कहे, द्वापर कदम करील।
*बाबू* पर्यावरण को ,खोजें छाँया चील।।
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✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकन्दरा 303326
जिला-दौसा (राज.)
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