श्रृंगार
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~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 🌹 *श्रृंगार* 🌹
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श्रृंगार हमारी वसुधा का हो,
या हो अपनी मातृभूमि का।
भारत का श्रृंगार करें हम,
या हो अपनी जन्मभूमि का।
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धरती का श्रृंगार पेड़ हैं,
पर्यावरण हम शुद्ध बनाएँ।
मातृभूमि के गौरव के हित,
शत्रु शीश काट कर लाएँ।
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प्रिय वतन श्रृंगार तिरंगा,
लहर लहर वो लहराए।
जन्मभूमि का गीत सुहाना,
जनगणमन सब मिल गाएँ।
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भारत माता के श्रृंगारी बन,
हिमगिरि ताज अकंटक हो।
विन्ध्याचल गिरि रहे मेखला,
गंग यमुन निष्कंटक हो।
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सागर चरण पखारे इसके,
उज्ज्वल चरणों नमन करें।
देशधरा की कण कण माटी,
आओ मिलकर चमन करें।
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खेत किसानी सम्बल देकर,
धानी चूनर श्रृंगारित होती।
सीमाओं के संरक्षण से ही,
माँ की थाती गर्वान्वित होती।
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अपना तो श्रृंगार देश बस,
फूले फले अमन छा जाए।
अपने लहू का टीका करके,
भारत माँ का भाल सजाएँ।
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✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा 303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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