नेता
🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉
~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *कुण्डलिया-छंद*
. *नेता*
💫💫💫💫
लोकतंत्र में उग रहे, नेता खरपतवार।
राज काज से खेंचते,ज्यों फसलों के सार।
ज्यों फसलों का सार ,चाटते दीमक जैसे।
कर समाज में फूट, सेंकते रोटी वैसे।
कहे लाल कविराय,भ्रष्ट सब किया तंत्र में।
चरत रोजड़े खेत, चरे ये लोकतंत्र में।
. 💫💫💫💫
आजादी के दौर से, नेता नहीं महान।
अबके नेता लोपते, रोज रोज ईमान।
रोज रोज ईमान, बेच जमीर ही खाते।
नित ही खाएँ घूँस, उदर इनके न अघाते।
कहे लाल कविराय,करें ये नित बरबादी।
उजले बगुले रहत,बचाते निज आजादी।
. 💫💫💫💫
✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा, दौसा, राजस्थान
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Comments
Post a Comment