सत्य-असत्य
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *सत्य-असत्य*
. दोहा-छंद
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सत्य सूर्य सा अड़िग, सुन्दर है जग मर्त्य।
मिश्रित यह संसार है,मिलते सत्य असत्य।।
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ईश्वर ने सृष्टी रची, मानव के सब कृत्य।
सृष्टा दृष्टा दुई भये, जग में सत्य असत्य।।
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धरा सत्य का रूप है,लक्ष्मी जग में मिथ्य।
दोनो आवश्यक हुए ,जानो सत्य असत्य।।
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सत पुरुषों के वचन ही,होते सच्चे कथ्य।
छुद्र मनुज संसार के,कहते सत्य असत्य।।
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साँचा मालिक एक है, बाकी झूठे भृत्य।
ईश्वर मानव दो बने,सच में सत्य असत्य।।
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दक्षिण पश्चिम की दिशा, कहते हैं नैऋत्य।
वास्तु शास्त्र से समझिए,सारे सत्य असत्य।।
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ईश्वर प्राकृत देव है ,तीनों सत्य अमर्त्य।
झूठ मोह संसार का,जोड़ा सत्य असत्य।।
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प्राकृत के संसार में, मानव मत कर अत्य।
साँचे सविता जान ले,दुनिया सत्य असत्य।।
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खान पान में जानिए,भोजन पथ्य कुपथ्य।
जीवन के व्यवहार से, जानो सत्य असत्य।।
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सविता, पृथ्वी आसमाँ, इनसे सारे तथ्य।
वैज्ञानिक खोजा करें,इनके सत्य असत्य।।
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जग में जिसकी रोशनी,सच्चा वह आदित्य।
दीपक तारे चंद्रमाँ, झिलमिल सत्य असत्य।।
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भारत देश महान है, अनुपम है साहित्य।
वेद,ज्ञान विज्ञान से, परखे सत्य असत्य।।
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सुख है मानव वांछना,दुख है जीवन सत्य।
सुख दुख दोनो संग में, जैसे सत्य असत्य।।
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सत्य सदा सम्राट है, झूँठों के अधिपत्य।
संत असंत संसार में, जैसे सत्य असत्य।।
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करते रहो विवेचना, तभी रहे औचित्य।
शर्मा बाबू लाल भी,कहते सत्य असत्य।।
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🙏✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
9782924479
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