कृत्रिम चन्द्र
🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝
~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 🌕 *कृत्रिम चन्द्र कल्पना* 🌕
. दोहा
. 🌕🌝
कृत्रिम चंद्र परिकल्पना, चलती देश विदेश।
बच्चों की प्रतिभा सुनो, होती खूब विशेष।।
. 🌝🌕
चन्दा तू मत सोचियो,केवल तेरो राज।
चार दिना की चाँदनी, देय हमारे काज।।
. 🌝🌕
मानवता के पूत हम, करें नित नई खोज।
तेरी क्यूँ मर्जी सहें, करे अमावस दोज।।
. 🌝🌕
मानव ने दीपक जला , मेटा है अँधियार।
बल्ब प्रकाशित कर दिए,करने को उजियार।।
. 🌝🌕
सूरज ऊर्जा खेंच कर,करते खूब प्रकाश।
अब ऐसी करनी करें, ताके नहीं अकाश।।
. 🌝🌕
उभय चन्द्र हमने बना,टाँग दिया आकाश।
प्रति दिन जो रोशन रहे,ऐसा होय प्रकाश।।
. 🌕🌝
मानव के बच्चे हुए, अब ऐसे हुशियार।
नकली चन्दा जड़ दिया,बाँस जोड़ इकसार।।
. 🌕🌝
देखे दुनिया चाँद है, आज करे परिहास।
भावि समय में देखना,जब यह करे प्रकाश।।
. 🌕🌝
कृत्रिम चन्द्र की कल्पना,होनी है साकार।
ब्रह्मा, विष्णु ,महेश से, बच्चे तीन तयार।।
. 🌕🌝
✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~`~
Comments
Post a Comment