कलम

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~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
.        🖋 *कलम*  🖋
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कलम चले सतत समय सी,
लिखती नई  इबारत  सारी।
इतिहासों  को कब  भूलें है,
लिखना देव इबादत  जारी।
.......✍✍
घड़ी  सूई व चलित लेखनी,
पहिये कालचक्र अविनाशी।
चलते लिखते घूम घूम कर,
वर्तमान- भावि - इतिहासी।
......✍✍
मिटते नहीं  कलम के लेखे,
जैसे  विधना लेख अटल है।
हम तो बस कठपुतली जैसे,
नाचे  नश्वर  जगत पटल है।
......✍✍
कलमी शक्ति कवि पहचाने,
क्रांति  कथानक,सत्ताधारी।
गोली , तोप, तीर , तलवारे,
बम, और  सत्ता   से  भारी।
......✍✍
कलमकार सिरकलम हुए है,
जब  जब    सत्ताधीशों   से।
नई क्रांति  कलम  ही  लाती,
सत्ता कुचली  नर  शीशो से।
......✍✍
कूँची कलमशक्ति हथियाके,
नई  व्यवस्था  सत्ता   करते।
कलमवीर सिरकलमी न हो,
ऐसी  सोच व्यवस्था  करते।
......✍✍
कलम  रचाती  नई  क्रांति,
नवाचार   हर   क्षेत्र   करे।
पौधे कलम  नस्ल बीज से,
हरित क्रांति  हर खेत हरे।
......✍✍
कलम  सर्वदा सत्य छाँटती,
जैसे  दर्पण  कलम काटती।
सामाजिक सद्भाव पिरोकर,
ऊँच  नीच  मतभेद  पाटती।
......✍✍
कलम अजर है कलम अमर,
कलम विजयी  है सर्व समर।
कलमकार तन वस्त्र बदलते,
कलम  बचे जग ढहे  अगर।
......✍✍
वेदों  से  लेकर संविधान तक,
रामायण  ईसा   कुरान   तक।
कलम कालगति चलते रहती,
सृष्टिसृजन से प्रलयगान तक।
............✍✍✍
✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकन्दरा 303426
दौसा,राजस्थान,9782924479
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