हल्दीघाटी समर

🌞🌞🌞🌞🌞🌞
~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
🤷‍♀ *आल्हा/वीर छंद* 🤷‍♀
(16,15,पर यति कुल 31
मात्रिक छंद,दो पंक्तियों मे
तुकांत गुरु लघु)

.   🏉 *हल्दीघाटी समर* 🏉
.....        🌞🌞
हल्दीघाटी समरांगण में,
          सेना थी दोनो तैयार।
मुगलों का भारी लश्कर था,
       इत राणा,रजपूत सवार।

भारी सेना थी अकबर की,
.        सेनापती मुगलिया मान।
भीलों की सेना राणा की,
.      अरु केसरिया वीर जवान।

आसफ खाँन बदाँयूनी भी,
.     लड़ते समर मुगलिया शान।
शक्ति सिंह भी बागी होकर,
.     थाम चुका था मुगल मचान।

राणा अपनी आन बान की,
.        रखते आए ऊँची शान।
मुगलों की सेना से उसने,
.      कीन्हा युद्ध बड़ा घमसान।

मुगल सैन्य विचलित जब होती,
.         धीरज दे कछवाहा मान।
हाथी के हौदे पर बैठा,
        बीच समर जैसे शैतान।

राणा कीका लड़े समर में,
.        होकर चेतक पीठ सवार।
भारी भरकम कर ले भाला,
.       एक हाथ थामें तलवार।

पूँजा संगत भील लड़ाके,
.      बरछे तीर संग तलवार।
अजब शौर्य था भीलों का,
.     कटने लगे मुगल सरदार।

भीलों के तीरों की वर्षा,
.        जैसे मेघ मूसलाधार।
भगदड़ मचती मुगल सैन्य में
.      भील लड़ाके छापामार।

सूरी हाकिम खान दागता,
.           तोपें गोले बारम्बार।
तोप सामने जो भी आते,
.        मुगलों की होती बरछार।

तोप धमाके भील लड़ाके,
.       मुगल अश्व हाथी बदकार।
मानसिंह बेचैन हो गया,
.       उत काँपे अकबर दरबार।

अफगानी वो वीर तोपची,
.        राणा का था बाँया हाथ।
उसने अपना धर्म निभाया,
.         मरते दम राणा के साथ।

जोश भरा जाता वीरों में,
.     सुन सुन राणा की ललकार।
चेतक की टापों से होते,
.        घोड़े मुगल हीन बदकार।

भारी मार मची समरांगण,
.          जूझे योद्धा वीर तमाम।
मुगलों ने तब युक्ति निकाली,
.       बचे मुगल योद्धा इस्लाम।

उभय पक्ष रजपूते मरते,
.     देख चकित मुगलिया चाल।
रक्त उबल आया राणा का,
.       आँखें हुई क्रोध से लाल।

किया इशारा तब चेतक को,
.      चेतक ने भर लई उछाल।
धरी टाप मान गज मस्तक,
.      राणा ने फेंका तब भाल।

गज हौदे में छुपा मान यों,
.        खाली गया वीर का वार।
हस्तिदंत असि लगकर घायल,
.       हुआ अश्व चेतक लाचार।

भाला दूर गिरा था जाकर,
.        मर गए मुगल वहीं बाईस।
थर थर काँपे मान कछावा,
.   अब की प्राण बचे अवनीश।

इकला राणा मुगल घनेरे,
.       खूब लड़ा रण में रणधीर।
जित तलवार चले राणा की,
.     गिरती वहीं मुगल शमशीर।

टिड्डी दल सी मुगल सैन्य थी,
.       कटे बीस आते पच्चीस।
काट काट कर राणा थकते,
.    सहस्त्र मुगल हुए बिन शीश।

राणा घायल थकित समर में,
.         चेतक होता लहूलुहान।
झाला मान वंश बलिदानी,
.        आया बीच समर में मान।

राणै का सिरछत्र सँभाला,
.         बचै वीर मेवाड़ प्रताप।
अमर हुआ राणा के बदले,
.     निज कुरबानी देकर आप।

मुगलों की भारी सेना अरु,
.       मक्कारी की चलते चाल।
हल्दीघाटी रक्तिम हो गई,
.       रजपूती सेना थी काल।

दशा देख राणा चेतक की,
.         करें पलायन ईश सहाय।
नाला आया फाँदाँ चेतक,
.        शान बचाये प्राण गवाँय।

आन बान को खूब निभाया,
.     चेतक स्वामिभक्त बलवान।
राणै नैन मेघ से झरते,
.    चेतक सखा वीर वरदान।

राणा चेतक गर्दन लिपटे,
.       वा  रे  एकलिंग दीवान।
जब तक धरती सूरज चंदा,
.      राणा-चेतक अमर निशान।

पीछा करते आए सैनिक,
.    शक्ति सिंह की पड़ी निगाह।
मार गिराये उनको शक्ता,
.       राणा हुए शक्ति आगाह।

शक्तिसिंह भ्राता से मिलते,
.        राणा मिले भुजा फैलाय।
चारों आँखें झर झर बहती,
.      आँसू जल चेतक नहलाय।

शक्ति बंधु प्रताप पाए थे,
.       राणा पाय शक्ति बलवान।
दो दो बेटे मातृभूमि के,
.        मेवाड़ी धरती धनवान।

राम-भरत सा मिलन अनोखा,
.     *जनम भोम* के हैं अरमान।
शक्ती ने घोड़ा निज देकर,
       रखी धरा की आन गुमान।

युद्ध विजेता किसको कह दूँ,
.       धर्म विजेता शक्ति प्रताप।
ऐसे वीर हुए जिस भू पर,
.       हरते मातृभूमि संताप।

वन वन भटका था वो राणा,
.          मेवाड़ी  रजपूती  भान।
हरे घास की रोटी खाकर,
.      रखता मातृभूमि की आन।

धन्य धन्य मेवाड़ी धरती,
.        राणा  एकलिंग  दीवान।
गढ़ चित्तौड़ उदयपुर वंदन,
.          हल्दीघाटी  धरा महान।

नमन करूँ उन सब वीरों को,
.         राजस्थानी  छोड़ी  छाप।
नमन करूँ मँगरा चट्टानें,
.       चेतक की पड़ती थी टाप।

वीर छंद वीरों को अर्पित,
.      और समर्पित शारद माय।
भारत माता वंदन करता,
.        ऐसे वीर सदा निपजाय।

मन के भाव शब्द बन जाते,
.        लिखता शर्मा बाबू लाल।
चंदन माटी हल्दीघाटी,
.        उन्नत सिर मेवाड़ी भाल।
.              🌞🌞🌞
✍✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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