मुसाफिर
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~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
*मुक्तक ( १६ मात्रिक )*
.🐚 *मुसाफिर* 🐚
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करे परिक्रम देश बनाएँ
गीत मुसाफिर उसके गाएँ
करें यात्रा वतन के खातिर,
अभिनंदन उसका कर पाएँ।
जाग मुसाफिर यह साल चली,
नव साल मने अब गली गली।
जागृत हो जा चेतन हो जा,
है रीत भलाई भली भली।
हेरोडोटस मुसाफिर एक,
भारत को लिखता सही नेक।
यूनानी इतिहासी था वह,
पुरा कहानी बाते अनेक।
मेगस्थनीज ने चन्द्र लिखा,
चाणक्य धरा पर इन्द्र दिखा।
भारत स्वर्ण काल का लेखक,
वो गया मुसाफिर हमें सिखा।
चीन मुसाफिर व्हेनसांग था,
हर्ष काल में बौद्ध पढ़ा था।
धर्म पथी संग कर्म पन्थी,
उसने भारत खूब लिखा था।
फाह्यान,सुलेमाँ अलबरुनी,
कथी कहानी वे भी कहनी।
अलमसूदी संग वह गजनी,
गये मुसाफिर कर अन करनी।
हिन्दु धर्म जब था गारत में,
शंकराचार्य तब आरत मेंं।
घूमे बन हिन्दुत्व मुसाफिर,
चार धाम थापे भारत में।
इब्नबतूता,फिरदौसी को,
ईस्टइण्डिया,फ्रांसीसी को।
कोलंबस,वासको डिगामा,
थे वे यात्री अपने हित को।
भारत के वे बौद्ध प्रचारक,
तिब्बत चीन गये लंका तक।
बहुत राष्टों करी मुसाफिरी,
मिटा बुराई शांति प्रसारक।
कितने कितने नाम बताऊँ,
कितने किस्से काम गिनाऊँ
समय मुसाफिर सबसे आगे,
वक्त सिकंदर शीश नवाऊँ।
इंसां बहुत मुसाफिर देखूँ,
चंदा सूरज भी अवलेखूँ।
ग्रह नक्षत्र तारक,व पृथ्वी।
प्रीत मुसाफिर गीत प्रलेखूँ।
तुम भी बनो मुसाफिर यारों,
घूमों दिशा नाप लो चारो।
मनु कर्तव्य निभाओ ऐसे,
मानव बन मानवता तारो।
जीवन एकल यात्रा होती,
लूट सको तो लूटो मोती।
अमर आतमा को कहते है,
पता नहीं कब जागे सोती।
. 🏉🏉🏉
✍✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा ,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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