सुन्दरता
🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞
~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 🌼 *कुण्डलिया छंद* 🌼
. 🌹 *सुन्दरता*🌹
. 💫💫💫
सुन्दर अपना देश है, सुन्दर जग में शान।
वन्य खेत गिरि मेखला,सरिता सिंधु महान।
सरिता सिंधु महान, ऋतु ये हैं मन भावन।
पेड़,गाय,जल,आग, इन्हे मानें हम पावन।
कहे लाल कविराय, बरसते यहाँ पुरंदर।
सुन्दर सोच विचार, बोल भाषा सब सुन्दर।
. 💫💫💫
वंदन सुन्दर हो रहा, सुन्दर शुभ परिवेश।
सुन्दर फल फूलों सजे,सुन्दर जिसका वेश।
सुन्दर जिसका वेश, कहें हम भारत माता।
सागर चरण पखार, लगे ज्यों वंदन गाता।
कहे लाल कविराय,करें हम भी अभिनंदन।
सुन्दर साज सँवार, करें भारत माँ वंदन।
. 💫💫💫
सुन्दरता मन की भली, तन को देखे भूल।
सिया स्वर्ण मृग देख के, भूली ज्ञान समूल।
भूली ज्ञान समूल, लोभ मन में गहराया।
जागा नहीं विवेक, विचित्र निशाचरि माया।
कहे लाल कविराय, छले सुन्दरता तन की।
सुन्दरता सत भाव, प्रीत गुण होती मन की।
. 💫💫💫
कंचन वर्णी गात हो, गुण मर्याद विहीन।
सुन्दरता कैसे कहूँ, रीत प्रीत मति हीन।
रीत प्रीत मति हीन,गर्व जो तन पर करते।
सुन्दरता वह मान, मान हित देश पे मरते।
कहे लाल कविराय, शहीदी गाथा मंचन।
सुन्दरता मत मान, छलावा काया कंचन।
. 💫💫💫
✍✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
Comments
Post a Comment