गणतंत्र 2
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~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 🇮🇳 *गणतंत्र* 🇮🇳
. (लावणी छंद)
पुरा कहानी,याद सभी को,
मेरे देश जहाँन की।
हम कहें गणतंत्र की गाथा,
अपने देश महान की।
सन सत्तावन की गाथाएँ
आजादी हित वीर नमन।
रानी झाँसी नाना साहब,
ताँत्या से रणधीर नमन।
तब से आजादी मिलने तक,
संघर्ष रहा बस जारी था।
वीर हमारे नित मरते थे।
दर्द गुलामी भारी था।
जलियाँवाला बाग बताता,
नर संहार कहानी को।
भगतसिंह की फाँसी कहती,
इंकलाब की वानी को।
शेखर बिस्मिल ऊधम जैसे,
थे कितने ही बलिदानी।
कितने जेलों में दम तोड़े,
कितनों ने काले पानी।
बोस सुभाष व तिलक गोखले,
कितने नाम गिनाऊँ मैं।
अंग्रेजों के अनाचार के
कैसे किस्से गाऊँ मैं।
गाँधी की आँधी,गोरों के,
आँख किरकिरी आई थी।
विश्वयुद्ध से सबक मिला था,
कुछ नरमी तब आई थी।
आजादी हित डटे रहे वे,
देशभक्त सेनानी थे।
क्रांति बीज से फसल उगाते,
मातृभूमि अरमानी थे।
आखिर मे दो टुकड़े होकर,
मिली वतन को आजादी।
हिन्दू मुस्लिम दंगे होकर,
खूब हुई थी बरबादी।
संविधान परिषद ने मिलकर,
नया विधान बनाया था।
छबीस जनवरी सन पचास,
यह लागू करवाया था।
बना वतन गणतंत्र हमारा।
खुशियाँ मय त्यौहार मने।
राष्ट्रपति व संसद भारत के,
मतदाता हर बार चुने।
आज विश्व मे चमके भारत,
ध्रुवतारे सा बन स्वतंत्र।
करूँ वंदना जन गण मन की,
अमर सदा रहे गणतंत्र।
लोकतंत्र सिरताज विश्व का,
लिखित वृहद संविधान है।
लाल किले लहराए तिरंगा,
जनगण मन अरमान है।
उत्तर पहरेदार हमारा,
पर्वत राज हिमालय है।
संसद ही सर्वोच्च हमारी,
संवादी देवालय है।
आज विश्व में भारत माँ का,
उन्नत गर्विता भाल है।
गणतंत्र पर्व के स्वागत को,
आरती सजते थाल है।
सेना है मजबूत हमारी,
बलिदानी है परिपाटी।
नमन करें हम भारत भू को,
और चूमलें यह माटी।
गणतंत्र सदा सम्मानित हो,
इस तन प्राण रहे न रहे।
ऊँचा रहे तिरंगा अपना,
मन में यह अरमान रहे।
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✍✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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