बसंत

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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
..           🌹 *बसन्त* 🌹
.                 *दोहा छंद*
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आता है ऋतुराज जब,पछुवा चले समीर।
सूर्य  ताप  लगने  लगे, कामदेव  के  तीर।।

तरुवर  सर्वस दान दें, राजा कर्ण समान।
प्रेरित करे समाज को,मानव करना दान।।

जो भी संभव दान दो, विद्या,धन अरु नेह।
अन्न  वस्त्र  सद्भावना, सरस  सनेही  मेह।।

मातु शारदे  सुमिर के, अक्षर अक्षर दान।
दान करे विद्या बढ़े, नित  नूतन  सम्मान।।

तरुवर जैसे  फिर मिले, नव तुरंत  सौगात।
फूल फलो से तरु सजे,हरषे नवल प्रभात।।

दिया  दूर जावे नहीं, कहता  यही  बसंत।
दान पुण्य सुकर्म कर,कहते गुरुजन संत।।

कर्म  फले  मानस भले, यही सनातन रीत।
ऋतु बसन्त के आगमन,सत्य सनेही प्रीत।।
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✍✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
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