बसंत

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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
.          🌹 *पंचचामर छंद* 🌹
.              *विधान*:--
१२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ (आठ बार)
१२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ (आठ बार)
दो दो चरण सम तुकांत हो,
चार चरण का छंद होता है।
.                🌻 *बसंत* 🌻
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बसंत दूत कोकिला  विनीत मिष्ठ बोलती।
बखान रीत गीत से  बसंत गात  डोलती।

बसंत  की  बहार में  उमा महेश साथ  में।
बजाय कृष्ण बाँसुरी विशेष चाल हाथ में।
.                       🤷‍♀🤷‍♀
दिनेश  छाँव  ढूँढते   सुरेश  स्वर्ग  पालते।
सुरंग  पेड़  धारते  प्रसून  काम    सालते।

कली खिले बने प्रसून  भृंग संग  सोम से।
खिले विशेष चंद्रिका मही अनंत व्योम से।
.                        🤷‍♀🤷‍♀
पपीह मोर  चातकी  चकोर शोर काम के।
बसंत  बाग  फाग में  बहार बौर आम के।

बटेर   तीतरी  कपोत  कीर  काग  बावरे।
लता  लपेट खाय  पेड़ मौन कामना  भरे।
.                        🤷‍♀🤷‍♀
निपात होय पेड़ जोह बाट फूल पात की।
विदेश पीव  है  बसंत याद  कंत बात की।

स्वरूप  ये  मही सजे  समुद्र छाल  मारते।
पलंग शेष  क्षीर सिंधु विष्णु श्री विराजते।
.                        🤷‍♀🤷‍♀
मचे  बवाल कामना  पिया पिया पुकारते।
बढ़े, सनेह  भावना  बसंत  काम  भावते।

निराश हो न छात्र भी नवीन पाठ सीखते।
बसंत  के  प्रभाव  गीत चंग संग  दीखते।
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मने   बसंत  पंचमी  मनाय  मात  शारदा।
मिटे समस्त कामना पले न घोर  आपदा।

विवेक शील ज्ञान संग  आन मान शान दे।
अँधेर नाश  मानवी प्रकाश स्वाभिमान दे।
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बसंत  की  उमंग    संग  पूजनीय  शारदे।
किसान भाग्य खेल मात कर्ज भार तारदे।

फले चने  कनेर  आम  कैर बौर  खेजड़ी।
प्रसून खूब  है खिले शतावरी खिले जड़ी।
.                        🤷‍♀🤷‍♀
पके अनाज खेत में  कपोत  कीर  तारते।
नसीब  हाय होलिके  हँसी खुशी पजारते।

विवाह साज  साजते  विधान ईश  मानते।
समाज के विकास को सुरीत प्रीत पालते।
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विशेष शीत मुक्ति से सिया समेत राम से।
घरों समेत खेत के  सुकाम मे सभी  लसे।

विशाल भाल भारती नमामि मात आरती।
हिमालयी  प्रपात  नीर  मात गंग  धारती।
.                        🤷‍♀🤷‍♀
अखंड  देश  संविधान  वीर  रक्ष  सर्वदा।
प्रणाम है शहीद को  नमामि  नीर  नर्मदा।

बसंत  की उमंग  फाग संग छंद  भावना।
सुरंग भंग  चंग  मंद  मोर  बुद्धि  मानना।
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.             ✍©
.          बाबू लाल शर्मा °बौहरा"
.        सिकंदरा, दौसा,राजस्थान
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