मायका
. *मायका*
. दोहा छंद
मान मनौव्वल मायका,ममता मिलती मात।
मंगल मय मनुहार में, मामेरा मनबात।।
भौजाई भाई भले, भेट भये भरमार।
भाग्यवान भलमानसी,भगिनी भावन भार।।
दादाजी दादी भले, दया दान दातार।
द्वारे द्वारे दीखते, दरखत देय दुलार।।
पीहर पथी परिक्रमा,परिजन प्रिय परिवार।
प्यार प्रीत परिपालना, पावन प्रेम प्रसार।।
सगा सनेही साथिया, सर्व सुलभ सहकार।
सादर सबके साथ से, सीख समझ संस्कार।।
बातचीत बाकी बहुत, बालपनी बकवास।
बिलखाते बंधन बने, बड़भागी बहुसास।।
सबकी चाहत मायका, मात पिता घर द्वार।
पीहर रमती कामना, भाव सुभागी नार।।
मात पिता तीर्थ लगे,परिजन प्रिय सब मान।
भाई हो भगवान से, पीहर स्वर्ग समान।।
सावन झूला झूलना, रक्षा बंधन पर्व।
गौरी पूजें चाव से, भैया दूज सगर्व।।
सबको भाये मायका, निर्धन हो धनवान।
रीत प्रीत के भाव से, ज्यों मंदिर भगवान।।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, "बौहरा"
सिकंदरा, दौसा,राजस्थान
9782924479
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