ध्वज में लिपटे
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~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *तिलका छंद*
. विधान:- ११२ ११२
. सगण सगण (६ वर्ण)
चार चरण, दो चरण समतुकांत
*ध्वज में लिपटे*
मन के जप से।
तन के तप से।
मनुवा सज के।
बल सूरज के।
करना सबका।
अपना उनका।
उपकार सदा।
तब क्या विपदा।
अपने पन का।
निजका पर का।
घर है वसुधा।
मन क्या दुविधा।
भगवान भजे।
अभिमान तजे।
अरमान फले।
भय रीत टले।
इस देश रहें।
परिवेश कहे।
हर भाँति सुखी।
सम सूर्य मुखी।
भज मात पिता।
निज देश जिता।
परिवार रखे।
करतार सखे।
मन शान बना।
सज के सजना।
ध्वज में लिपटे।
अरि से न हटे।
सजनी लिपटी।
तनुजा चिपटी।
सुत मात लुटे।
पितु आस मिटे।
जय हिन्द कहा।
रिपु सैन्य जहाँ।
बलवान गया।
असमान नया।
निभ रीत तभी।
बलिदान सभी।
शुभ नाम रहे।
मन छंद कहे।
बस रीत बची।
मन प्रीत बची।
परिवार रहा।
पर चैन कहाँ।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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