कैसे लुटा दें कशमीर क्यारी
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~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *इन्द्रवज्रा छन्द*
विधान-प्रति चरण ११ वर्ण
२तगण(२२१)+१जगण(१२१)+२गुरु
दो-दो चरण समतुकान्त
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*कैसे लुटा दें कशमीर क्यारी*
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आओ सभी भारत के निवासी।
चालें चली है अब जो सियासी।
पाकी पड़ोसी करता जिहादी।
आतंक भारी ज्वर है मियादी।
. सीमा सुरक्षा अपनी करेंगे।
. आतंक कारी हमसे डरेंगे।
. माँ भारती है हमसे सुभागी।
. होने न देंगे उसको अभागी।
सींची लहू से धरती हमारी।
कैसे लुटा दें कशमीर क्यारी।
देंगे शहीदी हम तो जवानी।
सीमा निहारे करलें रवानी।
. जीते जियेंगे वरना मरेंगे।
. आवाम मेरे हित ही करेंगे।
. माँ भारती का सपना सजा दें।
. आतंक सारा जड़ से मिटा दें।
राधे मुरारी धरती तुम्हारी।
देखो कराहे दुखिया बिचारी।
पाकी पिशाची करते जिहादी।
सोचे न पापी मनुता गँवादी।
. माने मनादे समझे बतादे।
. गीता हमे तू फिर से सुना दे।
. हे सारथी आज पुरा कहानी।
. माँ भारती के हित दोहरानी।
सेना हमारी तव अारती के।
हो सारथी तू अब भारती के।
आओ कन्हैया रथ में हमारे।
साथी भरोसे हम है तिहारे।
. मेटे धरा से फिर पाप सारे।
. किस्से बनेंगे अपने तुम्हारे।
. पापी मरेंगे सत ही बचेगा।
. ईमान धर्मी रखना पड़ेगा।
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✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा, 303326
दौसा,राजस्थान 9782924479
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