....लिख कवि
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~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *पुनीत छंद*
विधान:-१५ मात्रिक
चार चरण
दो दो चरण समतुकांत
चरणांत ~२२१
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. *लिख कवि......*
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मीत सुनो प्रिय रचनाकार,
कविता को दें नव आकार।
लिख कवि देशधरा के गान,
मात भारती हित के मान।
लिखना पहले सीना तान,
जय जवान,भारत सम्मान।
पीर किसानी लिखना मीत,
जय विज्ञान निभाती प्रीत।
देश प्रेम रचना संगीत,
इंकलाब मत वाले गीत।
जोश जगाने वाले नाद,
लिखने भगतसिंह आजाद।
लिखना प्यारे रचनाकार,
वीर सपूतो का आभार।
संविधान संसद आवाम,
नई चेतना , नव आयाम।
बिटिया के हित में आवाज,
शिक्षा का हो नव आगाज।
गुरबत संग वतन ईमान,
लिखना देश भक्ति के गान।
लिखना कवि नूतन संवाद,
बच्चों के लिखना आल्हाद।
तोप सामने पाकिस्तान,
लिख मेरे दिल हिन्दुस्तान।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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