होली बाद, कान्हा राधा
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
.🤷♀ *होली बाद - कान्हा - राधा* 🤷♀
. *कुण्डलिया छंद*
. 👀 *१* 👀
*राधा से कान्हा कहे, अब होली के बाद।*
*अब भी अपने देश में, होली है आबाद।*
*होली है आबाद, रिवाजें बहके बदले।*
*प्रीत नेह व्यवहार,लगे मन मानस गदले।*
*शर्मा बाबू लाल, गऊ क्यों लगती बाधा।*
*तरु कदम्ब की छाँव,कहे मुस्काती राधा।*
. 👀 *२* 👀
*राधा मुस्काती कहे, सुन लो गोपी नाथ।*
*कहाँ गई वे गोपियाँ,ग्वाल गाय का साथ।*
*गाय ग्वाल का साथ, रहे न मीत मिताई।*
*जन मानवता भूल, हितैषी प्रीत जताई।*
*शर्मा बाबू लाल,मनुज मन ही बस बाधा।*
*होली रह गई याद,कहानी कान्हा - राधा।*
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✍©
*बाबू लाल शर्मा,"बौहरा"*
*सिकन्दरा,दौसा,राजस्थान*
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