सुन्दर पावन धरा भारती

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~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
*सुन्दर पावन धरा भारती*  
(१६,१४ मात्रिक लावणी छंद)
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जहाँ वतन हो प्राण से प्यारा,
     ● कफन तिरंगा चाहत है।
जगत गुरू की पदवी वाला,
      ● स्वर्ण पखेरू भारत है।
ज्ञान धर्म संदेश अहिंसा,
       ● दूर देश तक जाता है।
सुन्दर पावन धरा भारती,
         ● वीर सपूती माता है।

आओ साथी वंदन करलें,
   ● भारत की इस माटी का।
देश धरा पर प्राण समर्पित,
   ● करती मन परिपाटी का।
इंकलाब के गीत जहाँ पर,
        ● बच्चा बच्चा गाता है।
सुन्दर पावन धरा भारती,
         ● वीर सपूती माता है।

सूरज पहले किरणे देता,
    ● मातुल चन्द्र चमकता है।
देश प्रेम मे भरकर सबका,
     ● यौवन तेज दमकता है।
दिशा दिखाने ध्रुव तारा भी,
       ● उत्तर नभ में आता है।
सुन्दर पावन धरा भारती,
         ● वीर सपूती माता है।

सागर चरण वंदना करता,
● पल पल धोता चरणों को।
पावन नदियाँ याद दिलाती,
  ● मानव शुभ आचरणों को।
धरती गौ नदियों से अपना,
      ● माँ से बढ़कर नाता है।
सुंदर पावन धरा भारती,
         ● वीर सपूती माता है।

जिस रज को हम चंदन माने,
     ● पूजें पर्वत जलधर को।
अनदाता हम कह सम्माने,
● भारत के प्रिय हलधर को।
वरुण देव की कृपा जहाँ पर,
        ● इन्द्र मेघ बरसाता है।
सुन्दर पावन धरा भारती,
         ● वीर सपूती माता है।

वन वृक्षों का आदर करते,
      ● सब जीवों में रब मानें।
संसकार मर्यादा अपने,
        ● कर्तव्यों को पहचाने।
संविधान का मान यहाँ पर,
   ● हर अधिकार दिलाता है।
सुन्दर पावन धरा भारती,
         ● वीर सपूती माता है।

वीर नहीं खोते है धीरज,
    ● रिपुदल से नहीं घबराते।
भरत सरीखे बच्चे इसके,
      ● शेरों से भी भिड़ जाते।
इस पावन भू पर हर कोई,
       ● सच्चा आदर पाता है।
सुन्दर पावन धरा भारती,
         ● वीर सपूती माता है।

देवों को भी खूब सुहाई, ,
● भरतखण्ड की यह धरती।
आती यहाँ अप्सरा रहने,
  ● रूप सुहागिन का रखती।
परमेश्वर अवतार लिए तब,
     ● इसी भूमि पर आता है।
सुंदर पावन धरा भारती,
.        ● वीर सपूती माता है।
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✍©
बाबू लाल शर्मा,"बौहरा"
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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