अमर शहीद
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~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
*लावणी छंद विधान*
१६+१४ मात्रा चरणांत गुरु २
--- दो दो पद सम तुकांत ,
--- चार चरणीय छंद
. --- मापनी रहित
. *अमर शहीद*
. 🌞🌞🌞
आजादी के हित नायक थे,
. उनको शीश झुकाते हैं।
भगत सिह सुखदेव राजगुरु,
. अमर शहीद कहातें हैं।
*भगतसिंह* तो बीज मंत्र सम,
. जीवित है अरमानों में।
भारत भरत व भगतसिंह को,
. गिनते है सम्मानों में।
*राजगुरू* आदर्श हमारे,
. नव पीढ़ी की थाती है।
इंकलाब की ज्योति जलाती,
. दीपक वाली बाती है।
*सुख देव* बसे हर बच्चे में,
. मात भारती चाहत है।
जब तक इनका नाम रहेगा,
. अमर तिरंगा भारत है।
जिनकी गूँज सुनाई देती,
. अंग्रेज़ों की छाती में।
वे हूंकार लिखे हम भेजें,
. वीर शहीदी पाती में।
इन्द्रधनुष के रंग बने वे,
. आजादी के परवाने।
उन बेटों को याद रखें हम,
. वीर शहादत सनमाने।
याद बसी हैं इन बेटों की,
. भारत माँ की यादों में।
बोल सुनाई देते अब भी,
. इंकलाब के नादों में।
तस्वीरों को देख आज भी,
. सीने फूले जाते हैं।
उनके देशप्रेम के वादे,
. सैनिक आन निभाते हैं।
वीर शहीदी परंपरा को,
. उनकी याद निभाएँगे।
शीश कटे तो कटे हमारे,
. ध्वज का मान बढ़ाएँगे।
श्रद्धांजलि हो यही हमारी,
भारत माँ के पूतों को।
याद रखें पीढ़ी दर पीढ़ी,
. सच्चे वीर सपूतों को।
. 👀👀
✍©
बाबू लाल शर्मा,"बौहरा"
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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