नव वर्ष

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~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
.         *हरिगीतिका छंद*
विधान..
११२१२   ११२१२  ११,
२१२  ११२१२
१६,१२ मात्रा पर यति
चार चरणों का एक छंद,
चारों चरण सम
तुकांत
.         🌞 *नव वर्ष* 🌞
.                    १
लगि चैत माह मने नया सन,
सम्वती मय हर्ष है।

फसले पकें खलिहान हो,
तब ही सखे नव वर्ष है।

परिणाम की,जब आस मे बटु,
धारता उतकर्ष है।

मम कामना मन भावना यह,
पर्व हो प्रतिवर्ष है।
.                   २
नव वर्ष हो शुभ आपको यह,
कामना  मन में करें।

सबका सरे शुभ काम जो बस,
भावना  मन में भरे।

करलें धरा हित वीर पावन,
कर्म मानव धर्म रे।

अपना भला,जग का भला यह,
सोचना सब ही तरे।
.                      ३
वरदान दो भगवान जी जग,
शांति का अरमान हो।

मनुजात हो सब ही सुखी हर,
जीव का शुभ मान हो।

करतार हे प्रभु दीन मैं तुम,
दीन बंधु प्रमान हो।

मम अर्ज है, तव फर्ज है जन,
विश्व के,शुभ गान हो।
.              👀🌞👀
✍©
बाबू लाल शर्मा,"बौहरा"
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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