तराने लिखूँ मैं शहादत भरे

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~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
.       *शक्ति छंद विधान*
.        (१८ मात्रिक छंद)
१,६,११,१६ वीं मात्रा लघु हो।
दो दो चरण समतुकांत हो।
चार चरण का एक छंद होता है।
मापनी:- -
१२२   १२२   १२२   १२
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*तराने लिखूँ मैं शहादत भरे*   
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वतन की हिफाजत करेंगें सखे।
जतन भी  सही  हो सुरक्षा रखे।
शहादत  करें  देश  हित  मे रहे।
लहू भी  हमारा  वतन हित बहे।

तिरंगा  सदा   ही  रहेगा गगन।
हमेशा  रहे  देश  के हित मगन।
बहे  धार गंगा  सदा  की तरह।
करे जंग हम ही  हमेशा फतह।

तराने  लिखूँ  मै शहादत  भरे।
हमारे  लिए  वीर  हमदम  मरे।
भुला दें गिले  जो बसे मन रहे।
मनो भाव  अपने वतन के बहे।

कटे शीश  चाहे  मिलें गोलियाँ।
रहे शान  माँ  की  लहू होलियाँ।
यही रीत हमको  निभानी सखे।
तिरंगा  हमेशा   गगन  में  रखें।

पड़ोसी पिशाची सबक सीखले।
पिटे सोच पहले अगर चीख ले।
मिेटाना  जरूरी  नशा पाक का।
भरे जब  गरूरी  घड़ा पाप का।

विनाशी   डराएँ   पटाखे  चला।
विकासी डरे क्यों बताओ भला।
हमारी   बिलाई   मियाऊँ   कहे।
बताओ सखे यों कहाँ तक सहे।

सुनारी कहे चोट खट खट करे।
लुहारी  करो पाक  झटपट मरे।
भरोे लाल डोरे  निगाहों   सखे।
तभी स्वाद पापी पिशाची चखे।

रहे  देश  मेरा  अमर  कामना।
हमारी  रहेगी  सदा    भावना।
रहे  संविधानी  रिवाजें   वतन।
मिटेंगी उदासी विकासी जतन।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, 'बौहरा'
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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शक्ति छंद

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