बहिन
🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞
~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 🤷♀ *बहिन* 🤷♀
. ( दोहा छंद )
. .....👀🌞👀.....
भाव सुरक्षा चाहती, बहिना रहे अधीर।
बदले गुरु आशीष दे, रहे सलामत बीर।।
(बीर~भाई)
त्याग मान मनुहार सें, सदा निभाती नेह।
पीहर मय ससुराल में, बहिना देह विदेह।।
एक बेस ले भेंट में, लख लख दे आशीष।
ऐसी होती है बहिन, नमन इन्हे नतशीश।।
(बेस~ पर्व या किसी भी अवसर पर बहिन को दिये जाने वाले एक जोड़ी वस्त्र ~ढूँढाड़ी भाषा में )
जैसी चाह चकोर की, सबकी चाहत भोर।
चाहत भाई खुश रहे, रहती बहिन विभोर।।
मातृ भूमि ज्यों चाहती, अमर तिरंगा शान।
सजग तिरंगा ध्वज रहे,बहिन भ्रात अरमान।
मंदिर मस्जिद देवरे, झुकते नाहक शीश।
इससे तो अच्छा भला, बहिना का आशीष।।
(देवरे~देवालय)
बहिनों से भगवान सा, नेह और विश्वास।
यही भाव मिलता रहे,जबतक तन में साँस।
शर्मा बाबू लाल ने, दोहा लिख कर सात।
बहिन बंधु संबंध में, कह दी मन की बात।।
. ......👀🤷♀👀........
सादर,🙏
✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा, दौसा,राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
Comments
Post a Comment