मीठी वाणी
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *मीठी वाणी*
. (दोहा छंद)
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. ✨१✨
सोच समझ कर बोलना, वाणी में रस घोल।
देख कोकिला को सखे, मीठी वाणी बोल।।
. ✨२✨
कौए जैसा रंग है, जीवन चक्र समान।
बस बोली के फर्क से, कोयल का है मान।।
. ✨३✨
बोल सुरीले हैं सखे, मैना पाखी मोर।
कर्कश बोली बोलते, मनुज बहुत से ढोर।।
. ✨४✨
कंठ सुरीले गायकी, सजे गीत संगीत।
कटु वाणी वक्ता करे, झगड़े झंझट मीत।।
. ✨५✨
बोली का सुख है बड़ा, बोलो तोल सतोल।
घाव भरे तलवार का, मृदु वाणी अनमोल।।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा, दौसा, राजस्थान
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