मातृभाषा हिन्दी
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 🌹 *मातृभाषा. हिन्दी* 🌹
*1*💫💫💫💫💫
हिन्दी भारत देश में, भाषा मातृ समान।
सुन्दर भाषा सुघड़ लिपि,देव नागरी मान।।
*2*💫💫💫💫💫
आदि संस्कृत मात है,निज भाषा की जान।
अंग्रेजी सौतन बनी , अंतरमन पहचान।।
*3*💫💫💫💫💫
हिन्दी की बेटी बनी, प्रादेशिक अरमान।
बेटी की बेटी बहुत, जान सके तो जान।।
*4*💫💫💫💫💫
हिन्दी में बिन्दी सजे, बात अमोलक मोल।
सज नारी के भाल से,अगणित अंक सतोल।।
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मातृभाष सनमान से, करो देश सम्मान।
प्रादेशिक भाषा भला, राष्ट्र ऐक्य अरमान।।
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हिन्दी की सौतन भले, दे सकती है कार।
पर हिन्दी से ही निभे, देश धर्म संस्कार।।
*7*💫💫💫💫💫
बेटी हिन्दी की भली, प्रादेशिक पहचान।
बेटी की बेटी कहीं, सुविधा या अरमान।।
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देश एकता के लिए, हिन्दी का हो मान।
हिन्दी में सब काम हो, होवें हिन्द विधान।।
*9*💫💫💫💫💫
कोर्ट कचहरी में करो, हिन्दी काज विकास।
हिन्दी में कानून हो , फैले हिन्द प्रकाश।।
*10*💫💫💫💫💫
विभिन्नता में एकता, भाषा में भी होय।
राज्य प्रांत चाहो करो,देश न हिन्दी खोय।।
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उर्दू,अरबी,बहिन सी , हिन्दी धर्म निभाय।
गंगा जमनी संस्कृति, भारत में कहलाय।।
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अंग्रेजी सौतन बनी, दिन दिन प्यार बढ़ाय।
बड़ी बहिन कहती रहे,अरु मनघात लगाय।।
*13*.💫💫💫💫💫
हिन्दी का सुविकास हो,जनप्रिय भाषा मान।
सर्व संस्कृत ग्रंथ के ,अनुदित हिन्दी ज्ञान।।
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हिन्दी संस्कृत मेल से, आम जनो के प्यार।
हिन्दी का सम्मान हो, हत आंगल व्यापार।।
*15*💫💫💫💫💫
सबसे है अरदास यह,हित हिन्दी अरु हिन्द।
शर्मा बाबू लाल के, हिन्दी हृदय अलिन्द।।
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✍🙏"©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकदरा,दौसा ( राज.)
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