नवरात्रि
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 🤷♀ *रोला छंद* 🤷♀
. नवरात्रि
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आदि भवानी मात, वही दुर्गे नव रूपा।
भजते जो मन भाव,भिखारी जन या भूपा।
नौ दिन के नौ रूप, धरे सुन्दर जग माता।
महा पर्व नवरात्रि, दशहरे पहले आता।
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श्राद्धपक्ष के बाद,दिवस जो पहला आता।
सब के मन सद्भाव, मातृ पूजा को भाता।
बेटी बहिनें मात, पराई सब की अपनी।
श्रेष्ठ एक संदेश, मात सम इन्हे समझनी।
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कन्या पूजन पर्व, अंत नवरात्रि मनाते।
लाते घर घर ढूँढ, दक्षिणा देय जिमाते।
बिटिया का सम्मान, सदा ही करलें भैया।
नारी दुर्गा रूप, बहिन बेटी सब मैया।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
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