साधु
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 🏉 *कुण्डलिया छंद* 🏉
. 🙌 *साधु* 🙌
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ऐसे सच्चे साधु जन, जैसे सूप स्वभाव।
यह तो बीती बात है, शेष बचा पहनाव।
शेष बचा पहनाव,तिलक छापे ही खाली।
जियें विलासी ठाठ, सुनें तो बात निराली।
कहे *लाल* कविराय, जुटाते भारी पैसे।
सुरा सुन्दरी शान, बने स्वादू अब ऐसे।
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टोले साधु सनेह जन, चेले चेली संग।
कार गाड़ियाँ काफिला, सुरा सुन्दरी भंग।
सुरा सुन्दरी भंग, विलासी भाव अनोखे।
दौलत के हैं दास, ज्ञान ये बाँटे चोखे।
बुरे कर्म तन *लाल*, धर्म धन के बम गोले।
नाम कथा सत्संग, माल ठगते ये टोले।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
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