प्रकाश
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *प्रकाश*
. (दोहा)
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स्वयं प्रकाशित पिण्ड है, सौर मंडले अर्क।
आकाशी गंगा बहुत, ज्ञान खगोली तर्क।।
सृष्टि समूचे विश्व में, दाता सूर्य प्रकाश।
प्राकत का सृष्टा यही,सविता जैव विकास।।
करते धरा प्रकाश जो, तारे सूरज चन्द।
ज्ञान प्रकाशित कवि करे,अरु विज्ञानी वृन्द।।
दीपक,वीर सपूत सम,निज का दे बलिदान।
द्वार प्रकाशे दीप वे, प्राण तजे भू मान।।
दीपमालिका पर्व पर, जले दीप चहुँ ओर।
जल दीपक संदेश दे, आएगी शुभ भोर।।
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✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
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