गीत ...प्रीत सरसे
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---------------------बाबूलालशर्मा
. *गीत*. *प्रीत सरसे*
नेह की सौगा़त पाई
लग गया मन खिलखिलाने!
ऋतु सुहानी सावनी में
पवन पुरवाई चली है!
मेघ छायाँ कर रहे ज्यों,
भीगते आँगन गली है!
मोर वन मन नाचते है
फिर चले कैसे बहाने!
नेह की सौगात पाई
लग गया मन खिलखिलाने!
गंध तन की भा रही ज्यों,
गंध सौंधी सावनी सी!
नेह बरसे प्रीत सरसे
खेत में मन भावनी सी!
दामिनी दमकी, प्रिया भी
लिपट लगि साँसे बजाने!
नेह की सौगात पाई
लग गया मन खिलखिलाने!
तितलियों को देखता मन
कल्पना में उड़ रहा था!
भ्रमर गाता तन सुलगता
मेह रिमझिम पड़ रहा था!
पृष्ठ से दो हाथ आए
बँध गये बंधन सुहाने!
नेह की सौगत पाई
लग गया मन खिलखिलाने!
पुष्प गंधी, है प्रिया यह
इंद्रधनुष सी चुनरी तन!
कजरा गजरा बिँदिया से
बहका बहका लगे चमन!
पहल करे मन मोर नचे
तन निहारूँ मन रिँझाने।
नेह की सौगात पाई
लग गया मन खिलखिलाने।
दीप का यह पर्व आया
देहरी सजने लगी है!
द्वार घर हँसते लगे सब
प्रेम की पींगे पगी है!
दीप का ले थाल आई
पर्व दर पर वह सजाने!
नेह की सौगात पाई
लग गया मन खिलखिलाने!
रीत निभे मन प्रीत पले
द्वार देहरी दीप सजे!
लक्ष्मी पूजे प्रेम धनी
हृदय तार प्रिय भजन बजे!
मन पावन मनमीत मिले
प्रियवर मन लगे हँसाने!
नेह की सौगात पाई
लग गया मन खिलखिलाने!
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✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,/9782924449
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