गोबरधन

.               🐑   *गोवरधन*  🐑
.                      (दोहा छंद)
गिरि गोवर्धन नख धरे, करे  वृष्टि से रक्ष!
दिए चुनौती इन्द्र को, जन गोधन के पक्ष!!

महिमा हुई पहाड़ की, करे परिक्रम लोग!
मानस गंगा पावनी, गिरिधर  पूजन भोग!!

द्वापर  में  संदेश  वर, दिया  कृष्ण  भगवान!
गो,गोधन पशुधन भले,कृषि किसान सम्मान!!

भारत कृषक प्रधान है, गोधन वर धन मान!
कृष्ण रूप सैनिक सभी, यह  गोवर्धन ज्ञान!!

गिरि वन वन्य बचाइये, नीर नदी तालाब!
भू संरक्षण  से बचे, यह  प्राकृत  नायाब!!

                  http://hindibhashaa.com/साहित्यकार-बाबू-लाल-शर्म/


सादर✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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