रूप चतुर्दशी
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--------------------------------बाबूलालशर्मा
. *रूप चतुर्दशी ,छोटी दीवाली*
. *दोहा छंद*
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चतुर्दशी है रूप की, मन का रूप निखार!
मिष्ठ भाव मन में रखें, मनो मिटाओ खार!!
रूप बदल परिवार का, बदल पुरातन रीत!
सोच समाजी बदलिए, विश्व भिव मन प्रीत!!
रूप बदल व्यवसाय के, शुद्ध बने व्यापार!
रिस्वत वस्तु मिलावटी, नहीं चले व्यवहार!!
सत्ता रूप निखारिये, मानवता अधिकार!
संविधान सद्भावना, राम राज्य साकार!!
रोजगार के रूप में, करना अब विस्तार!
काम मिले हर हाथ को, रहे न जन बेकार!!
दीवाली हर घर मने, ऐसा करो प्रबंध!
चतुर्दशी पर नर्क में, भेज रिवाजें अंध!!
आज सत्य संकल्प लो, एक दीप के साथ!
स्वर्ग बने संसार यह, सम्मुख दीनानाथ!!
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✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा राजस्थान
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