दीपक
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------------------------------------बाबूलालशर्मा
*दीपक*
. (दोहा छंद)
. 👀१👀
एक दीप बस एक ही, डरे न तम से मीत।
शेर अकेले देखिये, मन तुम रहो अभीत।।
. 👀२👀
धरा एक दीपक जले, तारक गगन अनंत।
हिम्मत कभी न हारता, तेल बाति पर्यंत।।
. 👀३👀
दीपक से सीखो मनुज,जलना पर उपकार।
तभी देवता को लगे, दीपक प्रिय करतार।।
. 👀४👀
दीपक से दीपावली, खुशियों का त्यौहार।
दीप बिना रोशन नहीं,दीपक विविध प्रकार।।
. 👀५👀
तम है दीपक के तले, परहित की पहचान।
अपने दुख को भूलिए,दुख दुनिया के जान।।
. 👀६👀
धन्य दीप जीवन तुम्हें, रोशन करे जहान।
दीप रूप तारे धरे, सूरज चंद्र महान।।
. 👀७👀
पल दो पल दीपक जिये, करें देह का दान।
जलकर भी दे रोशनी, मनुज सीख विज्ञान।।
. 👀🌞👀
✍
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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