समर्पण

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~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
.                  *दोहा छंद*
.           🦈  *समर्पण*  🦈
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त्याग समर्पण कीजिए,मातृभूमि हित मान।
देश बचे  माँ भारती, भली  शहादत  शान।।
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करें समर्पण देशहित, निज  के गर्व गुमान।
देश आन अरु शान है, हो इसका सम्मान।।
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मानव  हूँ  मानव  बनूँ, मानवता   सद्ज्ञान!
जीना मरना देश हित,यह अभिलाषा मान।।
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अधिकारों  की  दौड़ में, रहे  भान कर्तव्य।
मेरा देश  महान है, सफल  तभी मन्तव्य।।
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संसद व  संविधान का, करो सदा सम्मान।
न्यायालय  सर्वोच्च है, लोकतंत्र की शान।।
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जनहित परहित देशहित,मेरा भी दायित्व।
देश रहे  आजाद तो, है सबका  अस्तित्व।।
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किया समर्पित देशहित,जिसने जीवन गात।
अमर वही तो हो रहे,बाकी पीले पीले पात।।
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देखो  पन्ना  धाय  ने, किया   पूत   कुर्बान।
कहे समर्पण की कथा,गर्वित शान जुबान।।
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मानवता  ही  धर्म  है, सब  धर्मो का सार।
राष्ट्रधर्म  सबसे बड़ा, रखिए उच्च विचार।।
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चलो लेखनी देशहित,लिख दोहा अरु छंद।
करें समर्पण आप को,मिटा सभी मन द्वंद।।
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✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
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