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विशिष्ट - कुण्डलिया छंद

👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा   .       *विशिष्ट- कुण्डलिया छंद* .                  👀👀👀 .                  १. *वेणी* मिलती  संगम में  सरित, कहें  त्रिवेणी धाम! तीन  भाग  कर  गूँथ लें, कुंतल  वेणी  बाम! कुंतल   वेणी   बाम, सजाए   नारि  सयानी! नागिन  सी  लहराय, देख  मन चले जवानी! कहे लाल  कविराय, नारि  इठलाती  चलती! कटि पर वेणी साज, धरा पर सरिता मिलती! .                     🤷🏻‍♀🤷🏻‍♀ .               २.  *कुमकुम* माता   पूजित  भारती , अपना  हिन्दुस्तान! समर क्षेत्र पूजित सभी, उनको तीरथ मान! उनको तीरथ  मान, देश हित शीश चढ़ाया! धरा रंग  कर लाल, मात  का  मान बढ़ाया! शर्मा  बाबू लाल , भाल पर तिलक लगाता! रजकण कुमक...

सागर, अविरल..कुण्डलिया

👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .         *कुण्डलियाँ  छंद* .       दिनांक - 01.01.2020 .                      👀👀 कुण्डलियाँ (1)  विषय- *अविरल* अविरल  गंगा धार है, अविचल हिमगिरि शान! अविकल बहती नर्मदा, कल कल नद पहचान! कल कल नद पहचान, बहे अविरल  सरिताएँ! चली  पिया  के  पंथ,  बनी  नदियाँ   बनिताएँ! शर्मा  बाबू  लाल, देख  सागर   जल  हलचल! अब  तो  यातायात, बहे  सडकों पर  अविरल! .                    👀👀👀 कुण्डलियाँ (2)  विषय- *सागर* जलनिधि तू वारिधि जलधि, जलागार वारीश! सिंधु  अब्धि अंबुधि  उदधि, पारावार   नदीश! पारावार    नदीश ,  समन्दर    तुम    रत्नाकर! नीरागार      समुद्र  , पंकनिधि  अर्णव   सागर! नीरधि   रत्नागार,...