सागर, अविरल..कुण्डलिया
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *कुण्डलियाँ छंद*
. दिनांक - 01.01.2020
. 👀👀
कुण्डलियाँ (1)
विषय- *अविरल*
अविरल गंगा धार है, अविचल हिमगिरि शान!
अविकल बहती नर्मदा, कल कल नद पहचान!
कल कल नद पहचान, बहे अविरल सरिताएँ!
चली पिया के पंथ, बनी नदियाँ बनिताएँ!
शर्मा बाबू लाल, देख सागर जल हलचल!
अब तो यातायात, बहे सडकों पर अविरल!
. 👀👀👀
कुण्डलियाँ (2)
विषय- *सागर*
जलनिधि तू वारिधि जलधि, जलागार वारीश!
सिंधु अब्धि अंबुधि उदधि, पारावार नदीश!
पारावार नदीश , समन्दर तुम रत्नाकर!
नीरागार समुद्र , पंकनिधि अर्णव सागर!
नीरधि रत्नागार, नीरनिधि कंपति बननिधि!
मत्स्यागार पयोधि, नमन तोयधि हे जलनिधि!
👆 *सागर के 26 पर्यायवाची*
. 👀👀👀
रचनाकार:- ✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
Comments
Post a Comment