उल्लाला छंद (१३,१३) शतक
🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 ~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा,विज्ञ *उल्लाला छंद (१३,१३) विधान* जगण रहित विषम चरण - १३ मात्रा सम चरण. - १३ मात्रा चार चरण का छंद, दोहे की तरह समांत चरणांत में २१२अनिवार्य, समकल से चरणारंभ हो . *उल्लाला छंद शतक* . १०० छंद *. १. श्री गणेशाय: नम: ~* गौरी सुत हे शिव तनय, जय गणेश भगवान तुम। कविता लेखन कल्पना, चाहें प्रभु वरदान हम।। *. २. माँ शारदे वंदन ~* हे माँ शारद आइए, उत्तम करिए कर्म सब। दो छंदो का ज्ञान तुम, निभना है कवि धर्म अब।। *. ३. कलम की सुगंध ~* शाला महकेगी सदा, कविता कलमी गंध भर। सीखें कविजन छंद यों, निज श्रम से अनुबंध कर।। *. ४. गुरु वंदन ~* माता शारद की कृपा, सम्मानित विख्यात कवि। सादर वंदन आपको, संजय जी विज्ञात रवि।। *. ५. निज मन मंथन ~* कविता मेरा कर्म यह, मानें असि की धार मन। शर्मा बाबू लाल नित, सीखे नव सुविचार धन।। *. ६. मानव~* मानव तन वरदान है, द...